कुमार इंदर, जबलपुर। भारत के 75 में गणतंत्र दिवस पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने विजन 2047 की घोषणा की। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने कहा कि साल 2047 में भारत अपनी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएगा जिसमें हम ऐसी उम्मीद और आशा करते हैं कि मध्य प्रदेश न्यायपालिका और न्यायिक समुदाय भी वर्ष 2047 को सफल बनाने में अपना योगदान देगा। यह सुनिश्चित कर सके कि मध्य प्रदेश में कोई भी केस दाखिल होने के एक वर्ष के अंदर उसकी सुनवाई पूरी हो जाए। इस तरह से कोई भी केस उसके दर्ज होने के एक साल से ज्यादा समय तक पेंडिंग न रहे।

न्यायिक इतिहास में जाना जाएगा साल 2022 और 2023

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने साल 2022 और 2023 के दौरान मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में कई सारी कमियों की पहचान कर उन्हें ठीक करने। साथ ही काम में और ज्यादा तेजी लाने के लिए कई सारी पहल की साथ ही योजनाओं और सुधार कार्यों का शुभारंभ किया। मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि साल 2023 में मध्य प्रदेश के इतिहास में ये पहला मौक़ा है जब जिला न्यायपालिका ने 5 साल से ज्यादा समय से लंबित प्रकरणों को निपटाने में इतिहास दर्ज किया है। बताया कि 5 साल से ज्यादा पुराने प्रकरणों को निपटने में साल 2022 जिला न्यायालय दूसरे नंबर पर रहा जबकि साल 2022 में पांच साल से ज्यादा समय से लटके मामलों को निपटाने के हाईकोर्ट तीसरे नंबर पर रहा। प्रदेश के न्यायपालिका और जिला न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और सहयोगियों को इस उपलब्धि के लिए कड़ी मेहनत पर बधाई दी।

कुल 3 लाख 93 हजार 391 प्रकरणों का निराकरण-ः इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने कहा कि साल 2022-23 में जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय ने मिलकर कुल लाख 93 हजार हजार 391 प्रकरणों का निपटारा किया गया, चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने कहा कि यह दुख का विषय है कि साल 1960 के दशक से दर्ज मुकदमों का निराकरण अब तक नहीं किया गया था जिसमें 60 के दशक के विशेष रूप से 1962, 1964, 1966, 1969, 1970, 1980, 1990 और 2000 के दशकों के मामलों का अब तक निराकरण नहीं हो पाया था जिसका अब जाकर निपटारा हुआ है।

लंबित मामले को निपटाने बनाई कमेटी

लंबित मामलों के निपटारे में कोई कसर न रह जाए इसके लिए मुख्य न्यायाधीश ने एक समिति का गठन किया है। ब्लूप्रिंट मुख्य न्यायाधीश ने ही तैयार किया है। इस समिति में मुख्य न्यायाधीश, अधिवक्ता, शिक्षाविद और हितधारक शामिल होंगे जो इस दिशा में काम करेंगे कि प्रदेश का कोई भी प्रकरण दर्ज होने के उसके एक साल के अंदर या अवधि तक निपट सके।

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