रायपुर– मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आम नागरिकों को शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करने और उनकी समस्याओं के त्वरित निराकरण की दृष्टि से राज्य के सभी शासकीय कार्यालयों में कार्यालयीन अवधि में अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने इसी तरह लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत नागरिकों से प्राप्त आवेदनों को समय-सीमा में निराकृत करने के निर्देश भी दिए हैं.

मुख्यमंत्री बघेल ने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वे राज्य के सभी पांचों संभागों के कमिश्नरों को पत्र लिखकर निर्देशित करें कि वे अपने प्रभार के जिलों के मैदानी कार्यालयों का नियमित रूप से आकस्मिक निरीक्षण करें और शासकीय कार्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति की जांच करें. उन्होंने कहा है कि कई बार अधिकारियों-कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण आम नागरिकों को उनकी छोटी-छोटी समस्याओं के निराकरण के लिए बार-बार शासकीय कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, इससे कार्यों में अनावश्यक विलंब होता है और असंतोष की भावना उत्पन्न होती है. उन्होंने कहा है कि आम जनता की समस्याओं का निराकरण करना तथा नागरिकों को शासकीय सेवाएं आसानी से सुलभ कराना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और किसी भी दशा में नागरिकों को इसके लिए परेशान होना स्वीकार्य नहीं है.

मुख्यमंत्री ने इसी तरह मुख्य सचिव को संभागीय कमिश्नरों को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के आवेदनों की निराकरण के लिए उत्तरदायी बनाने को कहा है. उन्होंने कहा है कि संभागीय कमिश्नर अपने आकस्मिक निरीक्षण के दौरान वे अनिवार्य रूप से कार्यालयों में लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2011 के अंतर्गत संधारित रजिस्टरों की भी जांच करें और प्रत्येक सप्ताह के सोमवार के दिन लोक सेवा गारंटी अंतर्गत प्राप्त आवेदनों एवं उनके निराकरण की समीक्षा कर जिलेवार स्थिति का विवरण शासन को प्रेषित करें.

गौरतलब है कि यह अधिनियम राज्य में 12 दिसम्बर 2011 से लागू है, लेकिन उसके बावजूद भी यह देखने को आया है कि अनेक कार्यालयों एवं विभागों द्वारा इस अधिनियम के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे नागरिकों को समय-सीमा में मिलने वाली सेवाओं से वे वंचित हो जाते हैं. अधिनियम के तहत नागरिकों को निर्धारित लोक सेवाओं को समय-सीमा में प्राप्त करने का अधिकार है.

मुख्यमंत्री ने आवेदनों के निराकरण में हो रहे विलंब के कारणों की जानकारी देने तथा आवेदनों का निराकरण समय-सीमा में करवाना सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए है. उन्होंने कहा है कि जब भी किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कार्य संपादन हेतु समय-सीमा का निर्धारण किया जाता है तो उसका परिपालन निर्धारित समय-सीमा के भीतर अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए. अगर किसी अपरिहार्य कारण से यदि समय-सीमा में कार्य निष्पादन संभव ना हो तो उसके कारणों को दर्शाते हुए कार्य संपादन हेतु तिथि बताया जाना चाहिए, अन्यथा इसे गंभीरता से लिया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर कार्यालयों के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान कमिश्नरों को बिना नियंत्रण अधिकारी की अनुमति अथवा बिना किसी औचित्यपूर्ण कारण के यदि कोई अधिकारी-कर्मचारी कार्यालयीन अवधि में अनुपस्थित मिलता है, तो उसकी अनुपस्थिति को अवैधानिक मानते हुए उसके एक दिन के वेतन की कटौती के लिए नियंत्रक अधिकारी को निर्देशित करें. इसी तरह कार्यालय प्रमुख को भी सचेत करें कि वह सभी अधीनस्थ कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करें अन्यथा उनके उत्तरदायित्व निर्धारण की भी कार्यवाही की जाएगी.