अंकुत तिवारी,कांकेर. आमतौर पर आपने महिलाओं को गृहकार्य या ऑफिस कार्य करते ही देखा होगा. लेकिन प्रदेश की एक महिला ऐसी है जो मुर्दों का पोस्टमार्टम करती है. वो भी बिना किसी डर के. वैसे तो ज्यादातर महिलाएं थोड़ी नरम मिजाज की होती हैं. और उनके सामने मुर्दों का नाम भी लेना गुनाह ही होता है. पर कांकेर जिले की नरहरपुर की रहने वाली 30 वर्षीय  संतोषी दुर्गा थोड़ी सख्त मिजाज की हैं और अपने पिता के शराब पीने की लत को छुड़ाने के लिए अब  तक 400 शवों का पोस्टमार्टम कर चुकी हैं. इसी बात से प्रभावित होकर कांकेर जिला प्रशासन अब उन्हें मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के हाथों सम्मानित करनवाने जा रहा है. जहां उन्हें 14 मई को मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह अपनी विकास यात्रा के दौरान सम्मानित करेंगे. ज्ञात हो इन दिनों मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह अपनी विकास यात्रा लेकर निकले हुए  हैं. जो कल  कांकेर पहुंचेगी. इसी दौरान मुख्यमंत्री पोस्टमार्टम करने वाली देश की पहली महिला संतोषी दुर्गा को सम्मानित करेंगे.

पिता को किया चैलेंज

संतोषी दुर्गा की पोस्टमार्टम करने की कहानी शुरू हुई थी सालों पहले जो अब भी बदस्तूर जारी है. दरअसल संतोषी के पिता स्वर्गीय रतन सिंह सिंदूर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नरहरपुर में स्वीपर के पद पर कार्यरत थे. वे अपने काम के अलावा चिकित्सकों की मदद करने के लिए शवों का पोस्टमार्टम किया करते थे. लेकिन रतन सिंह को ऐसा लगता था कि ये काम बहुत ही हिम्मत वाला है. इसलिए इसे शराब पीकर ही किया जा सकता है. लेकिन इसी बीच उनकी तबीयत दिनों- दिन  बिगड़ने लगी. इसी बात से परेशान संतोषी ने अपने पिता को कई बार समझाया पर पिता रतन सिंह ने बेटी की एक ना सुनी. इसके बाद बेटी दुर्गा ने वो कदम उठा लिया जिसकी कल्पना किसी ने सपने में भी नहीं की थी.

संतोषी ने अपने पिता को चैलेंज किया कि पिताजी मैं भी पोस्टमार्टम करूंगी वो भी बिना नशे के. फिर क्या था संतोषी हाथ में हथौड़ी लेकर चल पड़ी और पहली बार वर्ष 2004 में  पिता के साथ ही किशानपुरी से आए एक शाव का पोस्टमार्टम किया. और सिद्ध कर दिया कि बिना शराब के नशे के भी पोस्टमार्टम किया जा सकता है. 2008 में उसके पिता का देहांत हो गया.

जिसके कारण परिवार की पूरी जिम्मेदारी संतोषी के ऊपर ही आ गई. उसके दो वर्ष बाद  यानी 2010 से समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नरहरपुर में सफाई कर्मी के रूप में भी काम कर रही हैं. साथ ही पोस्टमार्टेंम के कार्यों में लगातार चिकित्सकों का सहयोग भी कर रही हैं. आज समाज में महिलाओं ने बहुत से कीर्तीमान स्थापित किए हैं. पर संतोषी दुर्गा ने अपने पिता की शराब की लत छुड़ाने के लिए जो मिशाल  पेश की है उसका कोई जवाब नहीं है.