दिल्ली पुलिस(Delhi Police) को सोमवार को बड़ी सफलता हाथ लगी है। क्राइम ब्रांच(Crime Branch) की टीम ने अंतरराज्यीय बच्चा तस्करी गिरोह (Child trafficking gang) का पर्दाफाश करते हुए बड़ी कार्रवाई की है। इस ऑपरेशन में पुलिस ने गैंग से जुड़े 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के कब्जे से छह मासूम बच्चों को सुरक्षित छुड़ाया गया है, जिनकी उम्र एक साल से भी कम है। जांच में सामने आया है कि यह गिरोह न केवल दिल्ली बल्कि आसपास के कई राज्यों में सक्रिय था और बच्चों की तस्करी कर उन्हें अवैध तरीके से बेचने का काम करता था। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस मामले को लेकर दोपहर 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी, जिसमें पूरे ऑपरेशन और गिरोह के नेटवर्क से जुड़ी जानकारी साझा की जाएगी।
हड़ताल के बाद वकीलों की यह मांग मंजूर, दिल्ली पुलिस ने सर्कुलर किया जारी
पुलिस का कहना है कि यह गिरोह नवजात बच्चों को चोरी करने के बाद उनकी खरीद-फरोख्त करता था। गैंग गरीब परिवारों और अस्पतालों में नवजात बच्चों के माता-पिता को निशाना बनाता था। आरोप है कि यह लोग झूठे दस्तावेज तैयार कर और लालच देकर माता-पिता को मजबूर करते थे कि वे अपने बच्चों को बेच दें। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह घटना हमारे समाज में मौजूद गरीबी और लाचारी पर कुठाराघात है। जांच में यह भी सामने आया है कि गिरोह का जाल केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था, बल्कि आसपास के राज्यों में भी फैला हुआ था।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस गिरोह का खुलासा एक गुप्त सूचना के आधार पर हुआ। सूचना मिलने के बाद रेलवे पुलिस यूनिट और क्राइम ब्रांच ने संयुक्त रूप से कार्रवाई शुरू की। डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि वे इस गैंग के पीछे पिछले साल अक्टूबर से ही पड़े थे। यह गिरोह पहली बार पुलिस के संज्ञान में तब आया जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक महिला ने अपने ढाई साल के बेटे के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी।
गुप्त सूचना और सीसीटीवी फुटेज से खुला राज
डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि इस गैंग पर पिछले साल अक्टूबर से निगरानी रखी जा रही थी। यह मामला पहली बार तब सामने आया जब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक महिला ने अपने ढाई साल के बेटे के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और फोन ट्रैकिंग की मदद से एक महिला संदिग्ध को ट्रेस किया, जो बच्चे को ऑटो-रिक्शा से फरीदाबाद-बदरपुर टोल गेट की तरफ ले जा रही थी।
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह नवजात शिशुओं को चोरी करने के साथ-साथ गरीब परिवारों और अस्पतालों के माता-पिता को झूठे दस्तावेज और लालच देकर बच्चों को बेचने के लिए मजबूर करता था। बच्चे निःसंतान दंपतियों को गोद लेने के नाम पर 5 से 15 लाख रुपये में बेचे जाते थे।
दिल्ली दंगा मामला: गुलफिशा फातिमा ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, HC के फैसले को दी चुनौती
कोडेड भाषा और बदलते फोन नंबर से बचते थे पुलिस से
जांच में सामने आया कि गिरोह के सदस्य कोडेड भाषा का इस्तेमाल करते थे और बार-बार अपने फोन नंबर बदलकर पुलिस से बचने की कोशिश करते थे। पुलिस ने बताया कि सूरज नाम का शख्स तस्करों और खरीदारों के बीच दलाल का काम करता था। पुलिस ने लोनी (गाजियाबाद) और पहाड़गंज (दिल्ली) से दो बच्चों को बरामद किया, जबकि चार अन्य बच्चों को राजस्थान और गुजरात से रेस्क्यू किया गया। डीसीपी (रेलवे) केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि गिरोह पर पिछले साल अक्टूबर से निगरानी रखी जा रही थी।
5वें महीने में गर्भपात के बाद महिला ने दान किया भ्रूण, दिल्ली AIIMS करेगा रिसर्च
गिरोह के काम बंटे हुए थे
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इस गिरोह के अलग-अलग सदस्यों के काम बंटे हुए थे।
महिलाएं: मुख्य रूप से नवजात बच्चों को चुराने का काम करती थीं, खासकर रेलवे स्टेशनों, अस्पतालों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों से।
दलाल: कुछ लोग निःसंतान दंपतियों से संपर्क कर बच्चों को बेचने की डील तय करते थे।
फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने वाले: गिरोह में नकली दस्तावेज बनाने वाले और फर्जी डॉक्टर/वकील भी शामिल थे, जो बच्चों की खरीद-फरोख्त को कानूनी रूप देने का प्रयास करते थे।
फरीदाबाद में AC में लगी आग, धुएं में घुटकर पति-पत्नी और बेटी की मौत, जानिए पूरा मामला
बच्चों की कीमत और नेटवर्क
पुलिस की जांच में सामने आया है कि इन गिरोहों का नेटवर्क दिल्ली-एनसीआर से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है। चोरी किए गए नवजात बच्चों को 2 से 3 लाख रुपये में बेचा जाता है। यह सौदा अक्सर निःसंतान दंपतियों या अन्य बिचौलियों के जरिए पूरा किया जाता है।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक