लोकेश प्रधान,बरमकेला. जिनके हाथों में कलम और किताब होने चाहिए, जिनके कदम स्कूल में पड़ने चाहिए. वे हाथ 45 डिग्री तापमान में हथौड़े उठा रहे और उनके पैर स्कूल की बजाय पत्थर खदान में पड़ रहे है. आपको अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह कड़वी सच्चाई है. आप रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से करीब 17 किमी दूर ग्राम पंचायत नौघटा है. गांव के चारों तरफ आपकी नजर जहां तक पड़ेगी. चारों तरफ आपको कुछ वैध और अवैध खदान दिखाई पड़ेगा.
बच्चों की मजदूरी से कई परिवारो का होता है गुजारा
इन सब के बीच आपकी दिल पसीज जाने वाले नजारे भी दिखाई पड़ेंगे. छोटे छोटे मासूम बच्चें आपको हाथों में हथौड़ी और सब्बल लिए पत्थर तोड़ते और वाहनों पर लोड करते नज़र आएंगे. उन बच्चों की उम्र स्कूल में पढ़ने, लिखने और खेलने कूदने की है. लेकिन करें क्या. कई परिवार का गुजारा इनकी रोजी मजदूरी पर टिका है तो कई के माता पिता तो स्कूल से ही अनजान है.
बाल श्रमिक नहीं होने के दावे हुए खोखले साबित
जिला प्रशासन के अफसर जीरो ड्राप का दावा करने से नहीं चूकते तो श्रम विभाग और चाइल्ड लाइन के अधिकारी जिले में बाल श्रमिक नहीं होने की बात करते हैं. वहीं सफेदपोश नेता विकास की डींगे हांकते घूम रहे हैं. लेकिन इस गांव का नज़ारा सारे दावे को खोखला साबित कर रही है.
ज़िम्मेदार एसी रूम में बैठकर तैयार करते है रिपोर्ट
नन्हे मुन्ने हाथों में पैन और किताब की बजाय हथौड़ा और सब्बल थमाने के लिए जितने जिम्मेदार उनके माता पिता है उससे कई गुना ज्यादा ज़िम्मेदार जिला प्रशासन है. ऐसी खदानों पर खनिज, श्रम, चाइल्ड लाइन समेत वे तमाम विभाग जो मासूम बच्चों के लिए संचालित है. उनके प्रमुख एसी की हवा का मज़ा लेते हुए अपने दफ्तर में ही रिपोर्ट तैयार करते हैं.
खतरे में है प्राइमरी स्कूल के बच्चों की जान
खास बात यह है कि इसी पंचायत के आश्रित गांव छैलपोरा में प्राइमरी स्कूल से महज 30 से 40 मीटर की दूरी पर पत्थर खदान संचालित हो रहा है। जबकि खनिज विभाग के नियमों के मुताबिक स्कूल और आबादी वाले जगह से कम से कम दूरी 300 मीटर होना चाहिए. लेकिन अफसोस यहां सारे नियम कानून को अधिकारी और खनन माफिया तार तार करने में लगे हुए है.
70 प्रतिशत आबादी है बीमार फिर भी जिम्मेदार है वे परवाह
इस गांव में करीब आधा दर्जन खदान संचालित हो रहे हैं. सारे के सारे गांव के नजदीक है. जिसकी वजह से 1500 जनसंख्या वाले इस गांव के 70 प्रतिशत लोग दमा, अस्थमा, श्वास सहित अन्य बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन कलेक्टर, खनिज अधिकारी, विधायक, सांसद और अनुविभागीय अधिकारी समेत तमाम जिम्मेदारों को कोई परवाह नहीं है.
देखिये वीडियो –
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