रायपुर. एकल परिवार और पड़ोसियों तथा रिश्तों में बढ़ती दूरी ने टेलीविजन को भारतीय परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य बना दिया है. महिलाएं अक्सर टीवी सीरियल की काल्पनिक दुनिया में खोई रहना चाहती हैं. पुरुष समाचार, राजनीति और खेल के चैनलों को प्राथमिकता देते हैं तो बच्चे सदैव कार्टून ही देखना चाहते हैं.

टेलीविजन जहा बड़ों को स्वस्थ मनोरंजन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है, तो बच्चों के कोमल, नाजुक एवं अपरिपक्व मस्तिष्क पर कोई सकारात्मक प्रभाव छोड़ सके इसकी अपेक्षा करना ही बेमानी है. टी.वी. से बच्चों में कल्पनाशीलता कम हुई है, पडोस के बच्चों के साथ उनका खेलना और धमा-चैकडी मचाना अब आकर्षित नहीं करता वहीं कार्टून कार्यक्रमों की विषयवस्तु और चरित्र बच्चों के लिए किसी भी प्रकार से हितकर नहीं कहा जा सकता.

चूकि ये हर बच्चे की बात है अतः हम देखें कि आज के युग में राहु का प्रभाव है अतः हर व्यक्ति विशेषकर का बच्चा राहु से प्रभावित है. किसी भी प्रकार के लत को तीसरे स्थान से देखा जाता है अतः कालपुरूष की कुंडली में तृतीयेश बुध होने से अगर बुध विपरीत स्थान पर हो अथवा राहु से प्रभावित हो तो उसे काल्पनिक वस्तुएं जैसे टीवी, मोबाईल जैसी वस्तुए आकर्षित करती हैं.

अतः सबसे पहले राहु के प्रभाव को कम करने के लिए राहु जनित वस्तुओं के प्रति आकर्षण कम करने का प्रयास करना चाहिए, उसके अलावा राहु के दुष्प्रभाव दूर करने के लिए उन्हें शारीरिक कार्य, जीवन में अनुशासित रहना एवं अपने व्यवहार में कल्पना के पुट देने से बचाने का उपाय अजमाना चाहिए.

इसके साथ ही किसी भी प्रकार के लत के लिए बुध की शांति करानी चाहिए, बुध की शांति के लिए मंत्रों का जाप, मुंग का दान, गणेशजी की पूजा करने से किसी भी प्रकार के व्यसन से दूर रहा जा सकता है, इसके अलावा व्यस्त रहने के लिए लगातार खेल या शारीरिक गतिविधि में लगाना चाहिए ऐसा करने से राहु प्रभावित कार्यो को रोका जा सकता है. जिससे कि टीवी में कार्टून देखने पर भी अंकुश लगाया जा सकता है.