नई दिल्ली. वैदिक शिक्षा पर आधारित बोर्ड से 10th और 12th पास करने वाले छात्र अब उच्च शिक्षा के लिए किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने के पात्र होंगे. इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे उच्च शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं. यानी वैदिक बोर्ड से 10th, 12th पास करने वाले छात्र MBBS और इंजीनियरिंग समेत किसी भी कॉलेज में तय क्राइटेरिया के मुताबिक आगे की पढ़ाई जारी रख सकेंगे.
यह महत्वपूर्ण निर्णय सरकार की ओर से नामित निकाय, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) की ओर से लिए गए निर्णय के आधार पर आया है. एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के इस निर्णय का लाभ महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद संस्कृत शिक्षा बोर्ड (MSRVSSB), महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान (MSRVVP) और योग गुरू रामदेव के पतंजलि योगपीठ के ट्रस्टियों की ओर से संचालित वैदिक शिक्षा बोर्ड के छात्रों को मिलेगा.
AIU गवर्निंग बॉडी की सहमति
AIU ने अपनी गवर्निंग काउंसिल की बैठक में वैदिक शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रमों और प्रमाणपत्रों को मान्यता देने पर सहमति व्यक्त की है. इसमें इन सभी वैदिक पाठ्यक्रम से 10th के प्रमाण पत्र (वेद भूषण) और 12th के प्रमाण पत्र (वेद विभूषण) की ओर से दी जाने वाली परीक्षाओं और प्रमाणपत्रों के लिए समकक्षता को भी मंजूरी दी गई है. इससे पहले इन वैदिक बोर्ड के छात्रों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा परीक्षा की ओर से आयोजित एक परीक्षा पास करनी होती थी. NOSE परीक्षा पास करने वाले ही आगे की शिक्षा के लिए कॉलेजों में प्रवेश के लिए आवेदन करने के पात्र थे. हालांकि अब इस परीक्षा में बैठने की आवश्यकता नहीं है.
आधुनिक शिक्षा के साथ जुड़ेगी वेद प्रणाली
वेद आधारित शिक्षा का यह बोर्ड किसी भी अन्य सामान्य शिक्षा बोर्ड की तरह कार्य करेगा. दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय छात्रों को वैदिक शिक्षा और वेद आधारित ज्ञान मुहैया कराने का पक्षधर है. हालांकि अभी तक वैदिक विद्या के लिए डिग्री की कोई व्यवस्था नहीं है. इसी के मद्देनजर भारत सरकार वेद प्रणाली को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने का निर्णय ले रही है. इसके लिए एक बोर्ड बनाने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो गई थी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आधुनिक समाज में वेदों के पाठ की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए एक विशेष वैदिक शिक्षा बोर्ड अस्तित्व में आने की बात कही गई है.
कालजयी है वैदिक परंपरा
वेद शिक्षा पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि वेदों के सस्वर पाठ की प्रासंगिकता को आधुनिक समाज में बनाए रखने के लिए एक खास वैदिक शिक्षा बोर्ड अस्तित्व में आएगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि वैदिक परंपरा कालजयी (हमेशा प्रासंगिक रहने वाला) है.
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