प्रमोद निर्मल, मोहला-मानपुर। जिले में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के बजाय शिक्षा विभाग उसे बिगाड़ने में आमादा है। ताजा मामला आदिवासी बाहुल्य धुर नक्सल प्रभावित मानपुर विकासखंड से सामने आया है, जहां भर्रीटोला स्थित हायर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को कई सालों बाद वाणिज्य संकाय का शिक्षक मिला था। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए डीईओ ने उक्त शिक्षक को स्कूल से हटाकर जिला समग्र शिक्षा दफ्तर में अटैच कर दिया। इसके चलते अब बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई है। इस मामले में जिला प्रशासन सब जानकर भी तमाशबीन बना हुआ है।

वर्षों से भर्रीटोला हायर सेकेंडरी स्कूल में वाणिज्य संकाय के व्याख्याता की कमी थी। हाल ही में यहां जरूरतमंद विषय के व्याख्याता की नियुक्ति हुई थी और बच्चों को बेहतर अध्यापन का लाभ मिला था, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी के कारनामे ने बच्चों से उनका ये व्याख्याता शिक्षक उनसे छीन लिया। वाणिज्य संकाय के व्याख्याता विकास कुमार देवांगन को पदस्थापना के महज दो माह के भीतर ही स्कूल से हटाकर जिला समग्र शिक्षा दफ्तर में अटैच कर दिया गया। डीईओ के आदेश और दबाव के चलते भर्रीटोला हायर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन ने उक्त व्याख्याता को स्कूल से रिलीफ भी कर दिया।

परीक्षा के बीच बच्चों से छीना गया शिक्षक

जिस वक्त उक्त व्याख्याता को डीईओ फत्तेराम कोसरिया के लिखित आदेश के परिपालन में स्कूल से हटाकर समग्र शिक्षा दफ्तर के काम पर लगाने के लिए रिलीफ किया गया उस समय स्कूल में अर्धवार्षिक परीक्षा चल रही थी। बच्चों को पढ़ाने के लिए शासन से तनख्वाह पाने वाले शिक्षक को अध्यापन कार्य से हटाकर दफ्तर की बाबूगिरी में लगाना, परीक्षा के बीच बच्चों से उनका शिक्षक छीन लेना शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही व संवेदनहीनता को उजागर करता है। वहीं शिक्षा विभाग के इस कारनामे से डीईओ की भूमिका पर यह सवाल उठा कि जिला शिक्षा अधिकारी को जिले की शिक्षा व्यवस्था, नौनिहालों के भविष्य की कोई चिंता है कि नहीं ?

स्कूल को वापस लौटाएं शिक्षक, जिम्मेदारों पर हो कार्रवाई : देवानंद

इधर मानपुर जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष व ब्लॉक शिक्षा समिति के अध्यक्ष देवानंद कौशिक ने भी शिक्षा विभाग के इस कारनामे को संवेदनहीन कार्यशैली बताया है। उन्होंने स्कूल से जिला मुख्यालय अटैच किए गए व्याख्या शिक्षक को तत्काल वापस स्कूल में संलग्न करने की मांग प्रशासन से की है। उन्होंने कहा है कि स्कूल प्रबंधन बिल्कुल नहीं चाह रहा था कि स्कूल के शिक्षक को अन्यत्र अटैच किया जाए, क्योंकि इससे पढ़ाई व्यवस्था बिगड़ेगी, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने प्राचार्य पर शिक्षक को रिलीफ करने का दबाव बनाया। इसके चलते शिक्षक को रिलीफ कर दिया गया। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। देवानंद कौशिक ने यह भी कहा है कि पढ़ाई व्यवस्था बिगाड़ने वाले जिम्मेदार अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई हो। यदि तत्काल शिक्षक की स्कूल वापसी और जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई तो निकट भविष्य में इसके लिए उग्र आंदोलन किया जाएगा।

डीईओ की मनमानी पर कलेक्टर की चुप्पी, अधर में आदिवासी शिक्षा

इधर शिक्षा अधिकारी अपनी कारगुजारियों और मनमानी से आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था का बेड़ागर्क करने पर तुले हुए हैं। दूसरी ओर जिला प्रशासन आदिवासी नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ का तमाशबीन बना हुआ है। कलेक्टर की इस पर चुप्पी समझ से परे है। इस तरह का ये कोई पहला मसला नहीं है, अटैचमेंट के जरिए अध्यापकों को अन्यत्र काम में लगाकर बच्चों की अध्यापन व्यवस्था पर आघात करने का कारनामा शिक्षा विभाग की परंपरा बनी हुई है। जिले के जिला शिक्षा अधिकारी ही यदि अध्यापन व्यवस्था से खिलवाड़ करने पर अमादा हो तो कलेक्टर से उम्मीद बनती है कि शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई का सबक सिखाकर व्यवस्था को सम्हाले, लेकिन यदि कलेक्टर ही सब कुछ जानकर भी कोई कार्रवाई न करे और मौन साधे रहे तो इससे न केवल उम्मीदें हार जाती है बल्कि इससे शिक्षा व्यवस्था का बेड़ागर्क ही नहीं बल्कि पतन हो जाना संभावित है। ऐसी ही विडंबना के दौर से इन दिनों जिले की व्यवस्था जूझने को मजबूर है।

मूल कार्य अध्यापन से हटाकर दफ्तर के काम में लगाना क्या उचित है?

जिला शिक्षा अधिकारी पत्तेराम कोसरिया द्वारा जारी आदेश में उल्लेख है कि जिले की समग्र शिक्षा शाखा में कार्य किए जाने एवं समय-समय पर कार्यालय द्वारा सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन करने के लिए आपको आदेशित किया जाता है। इस मामले में डीईओ ने ने कहा कि कार्यालयीन कार्य संपादन के लिए उक्त शिक्षक को कार्यालयीन कार्य में लगाया गया है। अब यहां सवाल ये उठ रहा है कि एक शिक्षक को उनके मूल कार्य अध्यापन से हटाकर दफ्तर के बाबू काम में लगाना क्या उचित है। सवाल ये भी उठा रहा कि दफ्तर के काम निपटाने के लिए स्कूल की शिक्षा व्यवस्था को दांव पर लगाकर स्कूली बच्चों के अध्यापन और उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाना… ये कैसा सिस्टम है ?