
लेखक- डॉक्टर दिनेश मिश्रा
रायपुर। पिछले कुछ दिनों से देश के कुछ प्रदेशों से महिलाओं के रहस्यात्मक ढंग से चोटी कट जाने की घटनाएं प्रचारित हो रही हैं. टीवी चैनलों,समाचार पत्रों, सोशल मीडिया ग्रुप में इन घटनाओं के समाचार और जानकारियां भरी पड़ी है. राजस्थान के एक गांव से करीब 1 माह पहले इन घटनाओं का सिलसिला शुरु हुआ.दो-तीन गावों में ऐसी घटनाओं के समाचार मिले फिर उसके बाद तो पूरे राजस्थान में इन घटनाओं के अफवाहें सामने आने लगे. जिससे जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग जो ग्रामीण अंचल में निवास करता है इस दुष्प्रचार की चपेट में आ गया.
धीरे धीरे राजस्थान से जुड़े प्रदेश में जैसे हरियाणा पंजाब दिल्ली उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से राजस्थान की सीमा से जुड़े मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से से हर हाल में ही छत्तीसगढ़ से भी चोटी कटने की घटना के समाचार मिले हैं. पिछले कुछ दिनों से मेरे पास लगातार अलग-अलग क्षेत्रों से फोन आने लगे हैं. क्षेत्रीय न्यूज़ चैनल में इन घटनाओं पर बाकायदा प्रोग्राम चलने लगे हैं.
आखिर क्यों ऐसी घटनाएं हो रही हैं वास्तव में महिलाओं की चोटियां रहस्यात्मक ढंग से कट रही है ऐसा कौन सा व्यक्ति है जो निर्दोष महिलाओं की चोटियां करने पर तुला हुआ है? उसे भला किसी का क्या फायदा हो सकता है क्या भोली-भाली महिलाओं को आतंकित करना और डराना ही ऐसी अफवाहों का उद्देश्य है या इसके पीछे कुछ और कारण हैं?
जब मैंने इन घटनाओं के संबंध में जानकारी जुटाई तब पता चला कि राजस्थान के जालोर जिले के एक गांव से यह घटना शुरू हुई. जिसमें एक परिवार ने अपने यहां की एक महिला के बाल काटने की बात प्रचारित की थी. जब इस घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली तब यह भी पता चला क्योंकि उसके घर में कुछ ऐसी बात हुई थी जिसका उपाय किसी बैगा ने बताया था कि ऐसी कोई अफवाह उड़ा दो जिससे उनके ऊपर आया संकट टल जाएगा. इस कारण ऐसी बात प्रचारित की गई.
इस बात का हल्ला आसपास के कुछ गांवों में भी हुआ कुछ दिनों बाद नजदीक एक अन्य गांव की महिला ने यह शिकायत की कि उसकी छोटी भी रात में सोते समय रहस्यात्मक ढंग से काट ली गई. जब इस मामले की भी जानकारी ली गई तब पता चला कि वह तो महिला का पति एक माह से घर नहीं लौटा था और उसने स्वयं ही अपने हाथों से अपने बालों का कुछ हिस्सा काटा और यह बात प्रचारित कर दिया था कि किसी ने उसकी चोटी काट ली है. ताकि उसका पति घबरा कर वापस घर आ जाए.
इसके कुछ दिनों बाद एक तीसरी घटना हुई. जिसमें एक अन्य महिला ने दावा किया कि उसके बाल भी रहस्यात्मक ढंग से कट गये. बाद में जब उसे पुलिस स्टेशन ले जाया गया तब उसने बताया कि उसने अपने बाल खुद काटे. लेकिन गांव में अब तो अफवाहों का दौर चल पड़ा था और अनेक क्षेत्रों में अलग- अलग ढंग की अफवाहें फैलने लगी थी. किसी ने कहा उसे रात में कोई सफेद छाया दिखी तो किसी ने रात में कुछ अन्य वस्तुओं की बात की. किसी ने यह कहा कि जब उसके बाल काटे गए तो घर में अकेली थी और उसे बहुत दर्द हुआ बेहोश हो गई.
एक अन्य घटना में तो एक अन्य कथित रूप से पीडि़ता ने कहा कि बाल काटने के बाद से उसके हाथ पैर में दर्द हो रहा है. एक मामले में तो यह भी कहा कि उसकी तबियत खराब हो गई. कुछ को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. अलग-अलग प्रकार के दावे सामने आने लगे और अफवाहें फैलने लगी, फैलती चली गई. जिसका कोई नहीं अंत था और ना उसे समय रहते है संभालने का प्रयास और उपाय हो पाया.
ऐसा नहीं है कि इस प्रकार की अफवाहें या इसे चमत्कारी घटना के रुप में प्रचारित किया जानेवाला मामला पहली बार सामने आया है. इसके पहले भी देश में समय समय पर ऐसी घटनाएं सामने आती रही है. जिससे देशभर में कुछ समय के लिए भ्रम और अफवाहों का बाजार बन जाता है और लोग परेशान होते रहते हैं. जनता की वास्तविक समस्याएं वास्तविक मुद्दे नजर से ओझल होने लगती हैं और बेसिर पैर की बातें चारों तरफ सुनाई पड़ने लगती हैं.
कुछ वर्ष गणेश जी की मूर्ति के दूध पीने पीने की खबर प्रचारित हुई थी. फिर कहीं किसी प्रतिमा के आंखों से आंसू निकलने मदर मेरी की मूर्ति की आंखों से से खून निकलने तो कहीं किसी फोटो से भभूत निकलने की खबरें आती रही हैं. जादू टोना करके बीमार करने और मारने के नाम पर निर्दोष महिलाओं को डायन या टोनही के नाम पर प्रताड़ित करने और यहां तक जान से मारने की भी घटनाएं देश के 17 प्रदेशों से लगातार आती रहती हैं.
कुछ समय पहले मंकी मैन की खबर मीडिया में थी जिसमें कहा गया था कि रात को कोई व्यक्ति जो है अंधेरे में आकर के लोगों से मारपीट करता है. वह घायल करके भाग जाता है. कुछ क्षेत्रों में मुहनोचवा नाम के प्राणी की सामने आई जो लोगों का मुंह नोच लेता था. छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में कुछ वर्ष पहले एक चुड़ैल की अफवाह उड़ी थी जिसमें कहा गया था कि रात को लोगों के घर का दरवाजा खटखटाती है और मार डालते हैं और यदि रोटी और प्याज दिखा दिया जाए तो वह नहीं मारती.
सरगुजा के पास के सखी बनाने का आतंक था कि अगर किसी महिला को सखी नहीं बनाया, उसे उपहार नहीं दिए तो जान चली जाएगी. तो कहीं पर इच्छाधारी सांप तो कहीं पर अलग-अलग प्रकार के रहस्यमई बातें प्रचारित हुई. कोन्डागांव गांव के पास तो किसी अनजान लाइट जाने उससे लोगों के बीमार पड़ने कहीं लीवर-किडनी निकालने जैसे अलग-अलग प्रकार के अफवाहें फैलती रही.
सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय तो अनेक बातें हर साल सामने आती हैं. कुछ दिनों तक यह बातें चर्चा में रहती हैं फिर थोड़े दिनों के बाद मामला शांत हो जाता है लोग ध्यान नहीं देते जीवन वापस वैसे ही चलने लगता है.
सवाल यह है की ऐसी घटनाओं के प्रचार-प्रसार से किसे फायदा होता है. अभी महिलाओं के रहस्यात्मक ढंग से छोटी कटने की घटना के पीछे यदि विचार किया जाए तो कुछ प्रश्न ऐसे हैं जो निश्चित रुप से विचारणीय है कि छोटी कटने की घटना तथा ऐसी जितनी भी घटनाएं होती हैं मैं ग्रामीण अंचल में ही क्यों होती है? ऐसी महिलाएं इन घटनाओं का शिकार क्यों होती हैं जो अपेक्षाकृत कम पढ़ी-लिखी हैं. जिनके परिवार में शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं है जिनके बीच में विज्ञान के प्रति जागरूकता कम है? जहां स्वास्थ्य के प्रति चेतना अपेक्षाकृत कम है तथा स्वास्थ्य सुविधाएं भी कम है.
ऐसी घटनाएं शहरों में महानगरों में रहने वाले निवासियों के बीच क्यों नहीं होती? बाल काटने के शिकार शरीर में आश्चर्यजनक ढंग से त्रिशूल बनने, सांप की आकृति बनने भूत प्रेत बाधा की शिकार होने के मामले ग्रामीण अंचल में ही क्यों होते हैं? झाड़ फूंक से लोगों को ठीक करने ताबीज गंडे पहनाने स्वयं को देवी-देवता घोषित कर दरबार लगाने के मामले अधिकांश का ग्रामीण और छोटे कस्बों में ही क्यों होते हैं? आखिर क्या कारण है की पुलिस में काम करने वाले सेना में काम करने वाले अस्पतालों में काम करने वाले सऊदी की स्थलों में काम करने वाले मीडिया में काम करने वाली महिलाएं पढ़े-लिखे लोग के घर में घुस कर कोई चोटी नहीं काटता, कोई उनके शरीर पर त्रिशूल का सांप का निशान नहीं बनाता। तथाकथित भूत प्रेत आत्माएं रहस्यमई शक्तियां तथाकथित जिन्न शैतान पिशाच अशिक्षित लोगों ग्रामीणों पर ही क्यों सवार होते है?
वास्तव में अंधविश्वास का मामला बहुत हद तक मनोविज्ञान से भी जुड़ा है. व्यक्ति की मानसिक स्थिति मानसिक दशा मानसिक परेशानियां शारीरिक और आर्थिक परेशानियां भी उसमें सोने में सुहागा का काम करती हैं. जैसा कि चोटी काटने वाले इन मामलों में स्पष्ट है जो लोग ऐसी अदृश्य शक्तियों भूत प्रेत जैसी बातों पर भरोसा करते हैं वही इन घटनाओं के पीड़ित भी बनते हैं. किसी भी महिला के घर में घुसकर बाल काटना बिना किसी कैंची जैसे हथियार के बिना संभव ही नहीं.
किसी व्यक्ति के घर के अंदर आकर ऐसा दुस्साहस करना उसके द्वारा संभव है या उसके परिजन के द्वारा संभव है जो कि बिना उसकी जानकारी के संभव नहीं चाहे वह किसी योजना के तहत किया गया हो शरारत के तौर पर किया गया हो अफवाह फैलाने के उद्देश्य से किया गया. इसमें किसी भी महिला के बाल पूरी तरह से नहीं कटेगा बालों का कुछ हिस्सा काटकर छोड़ दिया गया.
वहीं पड़े रहे दूसरा बाल काटने से बेहोश होने और दर्द होने की बात भी गले नहीं उतरती. हमारे शरीर में बाल और नाखून जैसे अंग काटने में दर्द नहीं होता छोटे से छोटे बच्चे भी सिर के बाल कटवाकर शुरू में नजर आते हैं. महिलाएं ब्यूटी पार्लर जाकर के बाल कटवाती उसमें भी कोई दोष नहीं होता. फिर चोटी का एक हिस्सा काटने से कोई व्यक्ति कैसे हो सकता है और उसे तेज दर्द की होने की बात भी बनावटी प्रतीत होती है. बेहोश होने की बात भी गले नहीं उतरती.
एक घटना में हाथ पैर में चोट लगने कमजोरी आने की भी अस्पताल में भर्ती करने की भी बात कही गई है. व्यक्ति अफवाह से घबराकर गिर भी सकता है गिरने से चोट भी लग सकती है हो सकता है कुछ ऐसी बातें भी कहें जो उसके अचेतन मस्तिष्क में संचित हो पर उसका वास्तविकता से कोई संबंध रहा है. इसमें पीडि़त व्यक्ति को समझाने और मानसिक रूप से स्वस्थ करने आत्मविश्वास बढ़ाने की आवश्यकता होती है और जो पूरा का पूरा गांव पूरा का पूरा शहर इस प्रचार की चपेट में आकर घबराता है या हिस्टीरिया जैसी बात है. जिसका निदान भी सार्वजनिक रूप से बैठकर करने करने का अभियान चलाने प्रचार माध्यमों के उपयोग से समझाने से संभव है. अब ऐसी घटनाओं के दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं इस पर भी सोचने की आवश्यकता है. इससे सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि व्यक्ति और पूरा का पूरा क्षेत्र एक अनजाने से भय डर और भ्रम में पड़ जाता है. एक अंधविश्वास बन जाता है लोग विरोध करने लगता है.
राजस्थान के 55 गांवों में तो लोग रात में पहरा दे रहे हैं महिलाएं घबरा रही है. राजस्थान के गांव में तो बैगा तांत्रिक और भोपा भोपा की बनाई है वह टोने टोटके का सहारा लेकर लोगों को इस छोटी काटने के मुसीबत से मुक्ति दिलाने के लिए 5 से 10 हज़ार रुपये ले रहे हैं. मध्य प्रदेश में तो महिलाओं के ताबीज बनाने हाथ में राई का धागा बांधने के उपाय सुझाए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के आगरा में एक 63 वर्षीय महिला को तो ग्रामीणों ने इस शक में पीट-पीटकर मार डाला कि वह चुटिया काटती है. इसके पहले कि यह मामला और आगे बढ़े लोग और अधिक भ्रम के शिकार हो सभी पढ़े लिखे लोगों, मीडिया, प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए. सार्थक बहस होनी चाहिए और लोगों को ऐसे बेवजह के मामलों पर अंधविश्वास में ना पड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
(डॉ. दिनेश मिश्र, रायपुर के मशहूर नेत्र विशेषज्ञ हैं एवं अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष हैं जो छत्तीसगढ़ एवं आसपास के राज्यों में अंधविश्वास के खिलाफ काम करतीहै)