वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। डॉक्टर को भगवान कहा जाता है, लेकिन कई बार ये भगवान भी अपनी जिम्मेदारी भूल जाते हैं. ऐसा ही वाकया सिम्स में देखने को मिला, जहां सांप के डसने से तड़पते बच्चे को डॉक्टर ने एडमिट करने से मना किया. परिजनों की लाख दुहाई के बाद भी डॉक्टर पीड़ित बच्चे का इलाज नहीं करने पर अड़ा हुआ था. आखिरकार मीडिया के दबाव के बाद डॉक्टर ने बच्चे को भर्ती किया, और अब उसका इलाज किया जा रहा है.

बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल अपने कारनामों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहता है. इस बार सिम्स के डॉक्टर का कारनामा सामने आया है. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अंशुल ने सर्प दंश से पीड़ित हेमू नगर निवासी 14 साल के जिडेंन मरे को एडमिट करने से इनकार दिया. दर्द से तड़प रहे बच्चे के परिजन डॉक्टर से इलाज के लिए दुहाई करते रहे, लेकिन डॉक्टर का दिल नही पसीजा, और बच्चे को बिना चेक किए दूसरे अस्पताल में एडमिट करने का हवाला देने लगे.

परिजनों की लाख मिन्नत के बाद डॉक्टर ने अपनी कुर्सी से उठकर एक बार भी बच्चे को देखना गंवारा नहीं किया. इस बीच सूचना मिलने पर मीडियाकर्मी हॉस्पिटल पहुंचे. डॉक्टर को भनक लगी कि उसकी सारी करतूत कैमरे में कैद हो रही है, तो उसने तत्काल बच्चे को एडमिट करने का फॉर्म भरना शुरू किया. फिलहाल, बच्चे को एडमिट कर उसका इलाज किया जा रहा है. लेकिन सवाल ये है कि जिस डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, अगर वह ही मरीजों का इलाज करने से मना कर दे, तो इंसान कहाँ जाएगा. ऐसे में इतने बड़े सिम्स अस्पताल का क्या मतलब.