दिल्ली. जलवायु परिवर्तन का खतरा गंभीर होता जा रहा है। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक 60 करोड़ लोग इससे गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अलग-अलग स्थानों पर अलग है, लेकिन भारत समेत समूचे दक्षिण एशिया में कई ऐसे हॉटस्पॉट बन रहे हैं, जहां इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होगा। इसलिए इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण भारत में दो बड़े बदलाव सामने आ रहे हैं। एक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, दूसरे मानसून का पैटर्न बदल रहा है। ये दोनों बदलाव अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकते हैं। इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, जो देश की जीडीपी की कुल 2.8 फीसदी के बराबर होगी।

एक हजार हॉटस्पॉट

जलवायु परिवर्तन के खतरे से देश में एक हजार से ज्यादा हॉटस्पॉट बन गए हैं। उन क्षेत्रों को हॉटस्पॉट कहा गया है जहां यह खतरा ज्यादा है। सर्वाधिक प्रभावित दस जिलों में सात जिले महाराष्ट्र के विदर्भ के हैं जबकि तीन जिले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के हैं।

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव और दुर्ग जिले हॉटस्पॉट प्रभावित जिलों में शामिल हैं. जिन दस राज्यों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा उनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ शामिल हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की गई है। जलवायु परिवर्तन के हॉटस्पॉट महानगरों में चेन्नई, कोलकात्ता और मुंबई पर सबसे ज्यादा खतरे की बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा प्रभाव चार क्षेत्रों में होगा। इनमें पहला है,स्वास्थ्य, दूसरा खेती, तीसरा उत्पादकता और पलायन। इन चार क्षेत्रों में चुनौतिया बढ़ेंगी।

वर्ल्ड बैंक ने दक्षिण एशिया के उन सभी छह देशों का विवरण दिया है जहां तापमान लगातार बढ़ रहा है. बारिश के पैटर्न में भी साल-दर-साल अंतर देखा जा रहा है. अध्ययन में रोजमर्रा के मौसम बदलावों की गहराई से छानबीन की गई है और इन देशों को ‘हॉट स्पॉट’ बताया गया है जहां भविष्य में मौसमी बदलाव और तेजी से देखा जा सकता है. दक्षिण एशिया के इन देशों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भारत और बांग्लादेश का नाम है.