रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से छत्तीसगढ़ की विशेष परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए आरक्षण के संशोधित प्रावधान को संविधान की नवमी अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा पारित आरक्षण विधेयक में विभिन्न वर्गों को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है.

मुख्यमंत्री बघेल ने पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ की कुल आबादी में 32 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 13 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के 42 प्रतिशत लोग शामिल हैं. राज्य का 44 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है, तथा बड़ा भू-भाग दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा हुआ है. इन सब कारणों से ही राज्य के मैदानी क्षेत्रों को छोड़कर अन्य भागों में आर्थिक गतिविधियां संचालित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य में गरीबों की संख्या देश में सर्वाधिक (40 प्रतिशत लगभग) थी. राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षणिक दशा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की तरह ही कमजोर है. इन वर्गों के 3/4 भाग कृषक सीमांत एवं लघु कृषक हैं, तथा इनमें बड़ी संख्या में खेतिहर मजदूर भी हैं.

मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि राज्य में वर्ष 2013 से अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों हेतु क्रमशः 12, 32 एवं 14 प्रतिशत (कुल 58 प्रतिशत) आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2022 में निरस्त किया गया. राज्य की विधानसभा द्वारा दिसम्बर 2022 में पुनः सर्वसम्मति से विधेयक पारित कर विभिन्न वर्गों की जनसंख्या के आधार पर अजा, अजजा, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं ईडब्ल्यूएस के लोगों के लिये आरक्षण का संशोधित प्रतिशत क्रमशः 13, 32, 27 एवं 4 प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया. यह विधेयक वर्तमान में राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए लंबित है.

सर्वाेच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा नवम्बर 2022 में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय को वैध ठहराये जाने से आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है. विगत माह में झारखण्ड एवं कर्नाटक विधानसभा में विभिन्न वर्गों हेतु आरक्षण का प्रतिशत 50 से अधिक करने के प्रस्ताव पारित किए गए हैं.

यह उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु राज्य की प्रति व्यक्ति आय छत्तीसगढ़ से बहुत अधिक है, वहीं पूर्वाेत्तर के अनेक राज्यों में जनजातियों एवं पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षण 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक है. छत्तीसगढ़ राज्य की भी विशेष परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए संशोधित प्रावधान को संविधान की नवमी अनुसूची में शामिल कराए जाने से ही वंचितों एवं पिछड़े वर्गों के लोगों को न्याय प्राप्त हो सकेगा. अनुरोध है कि इस हेतु सर्व संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें.

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