हेमंत शर्मा,रायपुर। राजधानी के पंड़ित जवाहर लाल नेहरू सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल और मंत्री मो. अकबर ने शिरकत की. जहां सीएम का वैद्यों ने जड़ी बूटी की माला पहनाकर स्वागत किया. वैद्य सम्मेलन में सीएम ने प्रदेश में ट्रेडिशनल मेडिसिन बोर्ड गठन की घोषणा की है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रदेश भर से करीब एक हजार वैद्य आए हुए हैं.  राज्य औषधि पादप बोर्ड और वन विभाग ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक ज्ञान को सहेजने और निखारने के लिए वैद्य सम्मेलन किया गया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पहले यह सम्मेलन ब्लाक स्तर पर होता था. पहली बार राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ है. दूर दूर से वैद्य यहां आए है. वन औषधि को सरंक्षित करने के लिए वन विभाग काम कर रहा है, यह आपको बताया गया. छग में वैद्य की परंपरा सैकड़ों हजारों साल से चली आ रही है. पहले डॉक्टर नहीं होते थे तो इलाज आपसे ही कराते थे. हम पिछड़े कहा है. इस देश में राजा महाराजा हुआ करते थे. राजाओं को चोट लगती थी तो वैद्य लेप लगाते थे और वो जल्दी ठीक हो जाते थे. हमारे वैद्य की कमजोरी रही है कि वो ज्ञान को आगे बढ़ाने का काम नहीं किया. यह सबसे बड़ी कमजोरी रही है. आज भी बस्तर के ऐसे वैद्य मिलेंगे जो नाड़ी देखकर बीमारी बता देंगे.

उन्होंने कहा कि आज किसी का पैर कट जाए तो इंफेक्शन का डर होता है. यदि वैद्य के पास जाएंगे तो हाथ से सिलाई करके लैप लगा देंगे. इंफेक्शन होता हीं नहीं है. हड्डी कहा टूटा है नाड़ी देखकर बता देते है. दुर्भाग्य यह है कि जड़ी बूटियों को लिपिबद्ध नहीं किया गया. ज्ञान को नहीं बांटा गया. इस बात की आवश्यकता है कि लिपिबद्ध करे. हमारे ज्ञान का लाभ समाज को मिले. आज तो यह पता नहीं चलता कि किस बीमारी के विशेषज्ञ वैद्य है. छग में यह परंपरा रही है. आजकल ट्रिपल एम की बात होती है. हमारा ट्रिपल एम म्यूजिक, मेडिशिन, मेटलर्जी है. यही ट्रिपल एम की पहचान है. जड़ी बूटियों की वास्तविक कीमत मिलनी चाहिए जो नहीं मिल रही है. अधिकारियों को मेडिशिन की चिंता है मुझे आपके ज्ञान की चिंता है.

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन है, जो औषधियों से भरा हुआ है. आपकी इतनी बड़ी संख्या देखकर लगता है कि हमारा छग वैद्यों से भी भरा हुआ है. मुख्यमंत्री ने छग की परंपराओं को पुनर्जीवित करने का काम किया. हरेली त्योहार से इसकी शुरुआत की. अरपा पैरी के धार को राज्यगीत का दर्जा दिया गया. स्वास्थ्य योजनाओ को एक करके उनका नाम खूबचंद बघेल के नाम करने का काम मुख्यमंत्री ने किया है. राज्य वन गमन मार्ग को विकसित करने जा रहे है.