रायपुर। अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप स्कूल संचालित होंगे. तीन साल बालवाड़ी का संचालन करके शुरुआती शिक्षा दी जाएगी. 9 से 12 वीं तक रोजगारमूलक शिक्षा मिलेगी. 2030 तक इसे पूरा करेंगे. यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम का शुभारंभ करते हुए कही.

शिक्षा में नवाचार को सामने लाने के ध्येय से आयोजित जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शिक्षा समागम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ पंत, महापौर एजाज ढ़ेबर मौजूद हैं. वहीं नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल होंगे.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि शैक्षणिक और आर्थिक रूप में महत्वपूर्ण अधोसंरचना जवाहरलाल नेहरू ने शुरू की. उसके लिए हमेशा पंडित जी को याद किया जाएगा. नेहरू कहते थे कि बच्चे कलियों की तरह हैं, ध्यान और प्यार से लालन पालन करना चाहिए. उन्होंने विज्ञान और अंग्रेजी की शिक्षा की ज़रूरत को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा कि नेहरू का लगातार शिक्षा के प्रति आग्रह रहा है. खासतौर से अंग्रेजी और विज्ञान की शिक्षा के प्रति. विज्ञान कभी विषय नहीं रहा. लॉक डाउन के दौरान किए गए नवाचार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ब्लू टूथ को बुलटू के गोठ कहा. घर में जो वस्तुएं हैं, उसका कैसे उपयोग किया जाए जाए ये भी कोरोना में किया.

कार्यक्रम में मौजूद गौरव वल्लभ पंत ने कहा कि छतीसगढ़ सरकार ने सेसेज फ़ॉर अजेस का इस्तेमाल किया. मिस कॉल का इस्तेमाल शिक्षा में किया. मोटर साइकिल पर शिक्षा की उन्होंने तारीफ की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे जानकर आश्चर्य हुआ यहां रूरल सेक्टर कम डिस्टर्ब हुआ है, जबकि देश मे सारे जगहों पर इसके विपरीत परिणाम है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि दूरदर्शी मुख्यमंत्री है. आत्माराम अंग्रेजी माध्यम स्कूल में आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के बच्चे भी जा रहे हैं. यह सरकार की सबसे लोकप्रिय योजना है.

वल्लभ पंत ने इस अवसर पर सुझाव देते हुए कहा कि सेसेज में कुछ सेसेज कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी करवाई जाए, इसके अलावा ऑनलाइन एजुकेशन फ्यूचर ऑफ एडुकेशन है, इसे ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन संवाद को बढ़ाया जाए. शिक्षकों की ट्रेनिंग पर ध्यान कम होता है, इसके लिए ट्रेनिंग आउटकम ओरिएंटेड होना चाहिए.