रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में तीन दिवसीय राज्योत्सव का शुभारंभ किया. भूपेश बघेल ने पहले सोनिया गांधी का संदेश पढ़कर सुनाया. इसके बाद उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का संघर्ष केवल 19 साल का नहीं है. छत्तीसगढ़ का प्रथम स्वप्न दृष्टा डॉ. खूबचंद बघेल था. आज उनके सपने पूरे हो रहे हैं. आज दुनियाभर में अर्थशास्त्री इस बात पर चिंतन कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कौन सा चिराग आ गया. प्रदेश के आर्थिक मॉडल की चर्चा हो रही है. छत्तीसगढ़ के प्रकाश को दिल्ली तक पहुंचाने का काम है. गौठान से बना दीया दिल्ली में बिका. गांव में गौठान नहीं आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाने का काम किया है. ये प्रदेशवासियों की मेहनत का ही फल है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने किसानों का धान 25 रुपए में खरीदा, सबको चावल दिया, बिजली बिल हाफ किया. हमने जो वादा किया है उसे 11 महीने में करके दिखाया. जिसकी बदौलत उपचुनाव में हमें जीत मिली. जनता ने भी सरकार के काम पर मुहर लगाई है.

15 साल से छत्तीसगढ़ के स्वभाव को बदलने का प्रयास किया गया. नकली संस्कृति गढ़ने की कोशिश की गई. पिछली सरकार में बैठे लोग राजिम को नया स्वरूप देने की कोशिश की. इससे बहुत नुकसान पहुंचाया गया. इसलिए नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का संकल्प लिया है.

2500 रुपया में धान खरीदी और कर्ज माफी से चमत्कार हुआ है. सरकार की नीतियों की बदौलत खरीफ फसल छोड़ चुके किसान अब खेती करने को तैयार हुआ है. 1.5 लाख किसानों ने वापिस खेती का रुख किया. पहली बार कर्ज़ लेने का आंकड़ा 4 हज़ार करोड़ पहुंचा. भूमि पंजीयन का आंकड़ा बढ़ा. ये बदलाव सोचने वाली बात है. आटोमोबाइल्स सेक्टर में तबाही मची है. दीपावली में छत्तीसगढ़ का हर बाजार चमका है. भूमिहीन व आवासहीन को सपने दिखाए गए थे. लेकिन उन्होंने सिर्फ 8 हजार मकान बनाए थे, जिसे 11 महीने में हमने 40 हजार तक बढ़ाया है.

जीडीपी विकास का संकेतक नहीं

नये उद्योग नीति की शुरूआत की है. पिछड़े क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित करेंगे. विकासखंड स्तर पर वन उत्पादों, कृषि, खाद्य प्रंसस्करण के साथ नये उद्योगों को बढ़ावा देंगे. हमारा मानना है कि जीडीपी विकास का संकेतक नहीं है. समावेशी विकास ही हमारा विकास है. विकास का लाभ सभी को मिले इसका ध्यान दिया जाएगा.

राज्य में उत्साह का मौहाल बना

यादव भाइयों के साथ नाचा तो उन्हें लगा उनका राज्य बना है. जब सुआ और आदिवासी के साथ नाचे तो उन्हें लगा कि उनका राज्य बना है. हरेली तीज, पोरा के दिन लगा की उनका राज्य बन है. राज्य में उत्साह का माहौल बना है वो अद्भुद है.