रायपुर. आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल द्वारा अब तक हस्ताक्षर नहीं किए जाने पर सीएम भूपेश बघेल ने एक बार फिर निशाना साधा है. उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए राजभवन के कार्यकलापों पर सवाल उठाया है.

सीएम भूपेश ने ट्वीट करते हुए प्रश्न किया है कि-

झारखंड विधानसभा द्वारा आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से 77 किए जाने का अनुमोदन किया गया जिसे वहाँ के राज्यपाल द्वारा एटॉर्नी जनरल को उनके अभिमत हेतु भेजा गया.

कर्नाटक सरकार द्वारा आरक्षण का प्रतिशत 50 से 56 किए जाने हेतु तैयार अध्यादेश का वहाँ के राज्यपाल द्वारा अनुमोदन कर दिया गया.

छत्तीसगढ़ राज्य में जनभावनाओं के विपरीत विधानसभा द्वारा ‘सर्वसम्मति’ से पारित विधेयक को राज्यपाल महोदया द्वारा यहाँ के भाजपा नेताओं के दबाव में अनावश्यक रोक कर असंवैधानिक प्रक्रिया के तहत प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहे हैं.

एक देश, एक संविधान तो राज्य की जनता के साथ भेदभाव क्यों?

राजभवन में अटका विधेयक

बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते दो दिसंबर को विधानसभा में सर्वसम्मति से आदिवासी आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया था. जिस पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है. राज्यपाल का कहना है कि वे इस पर कानूनी सलाह ले रही हैं. यहां तक की राज्यपाल ने इस संबंध में पत्र लिखकर सरकार के कई सवाल किए. जिसका जवाब भी सरकार ने दे दिया. फिर भी अब तक आरक्षण विधेयक की फाइल राजभवन में ही अटकी हुई है.

हाल ही में कांग्रेस ने इसके विरोध में जन अधिकार यात्रा का आयोजन भी किया. इसके अलावा कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने राज्यपाल से मुलाकात कर विधेयक पर जल्द हस्ताक्षर करने का आग्रह भी किया. जिस पर राज्यपाल ने जल्द कदम उठाने का आश्वासन दिया है.