रायपुर। अविभाजित मध्यप्रदेश के कम्युनिस्ट नेता कॉमरेड सुधीर मुखर्जी की आज जयंती है. इस अवसर पर उन्हें याद करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि सुधीर दादा जीवन के अंतिम समय तक रायपुर में वंचितों के लिए संघर्षरत रहे.

बता दें कि सुधीर दादा संयुक्त मध्यप्रदेश के बड़े वामपंथी नेता थे. राजनीति में उनकी पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने रायपुर से 1977 में चुनाव में जीत हासिल की थी. छत्तीसगढ़ के मजदूरों की आवाज तो भोपाल तक पहुंचाने के लिए उन्होंने बैलाडीला से लेकर भोपाल तक यात्रा की थी. अविभाजित मध्यप्रदेश में सीपीआई के सचिव रहने वाले सुधीर दादा 1995 में सीपीएम में आ गया. यहां भी उन्हें पूरा सम्मान मिला और पार्टी के राज्य सचिव मंडल का सदस्य नियुक्त किया गया.

जानकार बताते हैं कि मलेरिया की वजह से उनका 26 सितंबर 1995 को उनका निधन हो गया. रायपुर में निकली उनकी अंतिम यात्रा लोगों की मौजूदगी के हिसाब से ऐतिहासिक थी. बड़ी संख्या में न केवल राजनीतिक दलों के नेता बल्कि आम लोग भी शामिल हुए. दादा की छत्तीसगढ़ निर्माण में भी अहम भूमिका रही. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में पुरुषोत्तम लाल कौशिक के साथ वे भी सदस्य थे. उनका जीवन सादगीभरा रहा, जिसके कांग्रेस के साथ-साथ अन्य दलों के नेता भी कायल थे, और उनका सम्मान करते थे.