रायपुर. एनआरसी नोटबंदी की तरह है. लाइन में लगकर हमको अपनी नागरिकता प्रमाणित करनी पड़ेगी. नोटबंदी से जिस तरह लोगों को परेशानी हुई, और उससे कुछ नहीं निकला, उसी तरह एनआरसी है, इससे कुछ होने वाला है नहीं है. यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कही. उन्होंने कहा कि इससे हमको प्रमाणित करना पड़ेगा कि हम भारतीय है, और अगर भारतीय प्रमाणित नहीं कर पाए किसी कारण से तो किस प्रकार से रखेंगे.
भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 2 करोड़ 80 लाख लोग है. इसमें से आधे से अधिक लोग प्रमाणित नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उसके पास जमीन का रिकार्ड नहीं है. जमीन नहीं है. हमारे पूर्वज पढ़े लिखे नहीं है. कई बार इस गांव से उस गांव जाते हैं. इस प्रदेश से दूसरे प्रदेश गए हैं. इसी तरह दूसरे प्रदेश के लोग यहां आए हैं. वो 50 से 100 साल का रिकार्ड कहा से लाएंगे. ये अनावश्यक बोझ है.
यदि इस देश में घुसपैठिए आए हैं तो उसे पकड़ने के लिए एजेंसियां बहुत है, इससे पकड़े उसको और उसके खिलाफ कार्रवाई करे. लेकिन दूसरे जनता को कैसे परेशान करेंगे.
ये उसी तरह की कानून है, जैसे अंग्रेजों ने एआरसी लागू किया था. इसे 1906 में लागू किया था. और उसको उसे महात्मा गांधी ने विरोध किया. रजिस्टर में हस्ताक्षर भी नहीं करूंगा और ना फिंगर प्रिंट दूंगा. मैं वहीं बात दोहरा रहा हूं.
आप गांधी जी 150वीं वर्षगांठ मना रहे हैं ओर देश में एनआरसी लागू करना चाहते हैं. गृहमंत्री अमित शाह बार-बार बोल रहे हैं कि देश में एनआरसी लागू करेंगे. इसलिए मैंने घोषणा की है कि मैं पहला आदमी होगा जो उस रजिस्टर में दस्तखत नहीं करूंगा. सरकार चाहे कुछ कर लें.
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