भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जिलों में खाद वितरण के संबंध में जिला प्रशासन आवश्यक व्यवस्था बनाए। उपलब्ध उर्वरक की उचित वितरण व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से निरंतर संवाद और संपर्क में रहे। उर्वरक वितरण की व्यवस्था में किसान संगठन के प्रतिनिधियों को भी जोड़ा जाए। जिलों में यदि उर्वरक वितरण को लेकर अव्यवस्था होती है तो उसके लिए जिला कलेक्टर जिम्मेदार होंगे। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार हर स्थिति में किसानों के साथ है।

दरअसल, बुधवार को सीएम डॉ मोहन ने अपने निवास में अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों और जिलों में उर्वरक वितरण की स्थिति की समीक्षा की। इस बैठक में सभी जिले के कलेक्टर और संबंधित अधिकारी वर्चुअली जुड़े। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलों में खाद उपलब्धता की सघन समीक्षा की जाए। साथ ही जिले में उपलब्ध स्टॉक की जानकारी जनप्रतिनिधियों से भी साझा करें, इससे किसानों को जिले में खाद की उपलब्धता की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने में मदद मिलेगी। जिला प्रशासन डबल लॉक, पैक्स और निजी विक्रय केंद्रों का आकस्मिक सत्यापन और उनकी मॉनिटरिंग अनिवार्य रूप से करें। अतिरिक्त विक्रय केंद्र की आवश्यकता होने पर उनका संचालन तत्काल आरंभ किया जाए। कृषि, सहकारी बैंक, विपणन संघ के अधिकारी निरंतर सम्पर्क में रहें।

खाद से संबंधित अवैध गतिविधियों के लिए 53 FIR और 88 लाइसेंस निरस्त

इस बैठक में खरीफ 2025 के लिए यूरिया, डी.ए.पी, एन.पी.के, एस.एस.पी, एम.ओ.पी और डी.ए.पी + एन.पी.के की उपलब्धता, ट्रांजिट की स्थिति की जानकारी दी गई। साथ ही नेनो एवं जैविक उर्वरक वितरण कार्यक्रम के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। बताया गया कि उर्वरक की कालाबाजारी, अवैध भंडारण, अवैध परिवहन और नकली उर्वरक आदि से संबंधित प्रकरणों पर कार्यवाही करते हुए 53 एफआईआर दर्ज की गई और 88 लाइसेंस निरस्ती, 102 लाइसेंस निलंबन सहित 406 विक्रय प्रतिबंधित की कार्यवाही की गई।

खाद की बेहतर वितरण व्यवस्था में हुए नवाचारों का करें अनुसरण

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन ने खाद वितरण व्यवस्था के संबंध में धार, दमोह, जबलपुर और रीवा जिले के कलेक्टरों से चर्चा की। दमोह कलेक्टर ने बताया कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से सतत् सम्पर्क और संवाद सुनिश्चित करते हुए वितरण व्यवस्था में उनका सहयोग लिया जा रहा है। साथ ही टोकन वितरण और उर्वरक वितरण को अलग-अलग किया गया है। टोकन तहसील कार्यालय से बांटे जा रहे हैं और वितरण विक्रय केंद्रों से किया जा रहा है। जबलपुर कलेक्टर ने बताया कि किसानों के लिए टोकन वितरण की व्यवस्था फोन कॉल द्वारा सुनिश्चित की जा रही है। उर्वरक वितरण केंद्रों पर डिस्पले बोर्ड लगाए गए हैं। बोर्ड न पर टोकन नंबर प्रदर्शित कर उर्वरक वितरण किया जा रहा है। डिस्पले बोर्ड पर जिले में उपलब्ध उर्वरकों की मात्रा भी प्रदर्शित की जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अन्य जिलों को भी इस प्रकार के नवाचार अपनाने के निर्देश दिए।

बाढ़-अतिवृष्टि की स्थिति में सजग और सक्रिय रहे पुलिस प्रशासन

CM ने कहा कि प्रदेश में जिन-जिन क्षेत्रों में भी अतिवृष्टि और बाढ़ से फसलों को क्षति हुई है, वहां राहत के लिए तत्काल कार्रवाई आरंभ की जाए। साथ ही जनहानि और पशु हानि की स्थिति में 24 घंटे में राहत उपलबध कराई जाए। बाढ़ के दौरान अस्थाई कैम्प व्यवस्था, राशन वितरण, भोजन वितरण आदि की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सामग्री सभी संभावित स्थानों पर उपलब्ध हो। आगामी दिनों में भी भारी वर्षा की संभावना है। सभी जिलों में पुलिस प्रशासन सक्रिय और सजग रहते हुए पुल-पुलिया में बैरिकेटिंग और बाढ़ की स्थि‍ति में पुल क्रास न करने की चेतावनी की व्यवस्था जैसी सभी आवश्यक सावधानियां सुनिश्चित करें।

MP में औसत से 21 प्रतिशत अधिक वर्षा

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में 1 जून से 2 सितंबर तक 971.5 एमएम यानी 38.24 इंच वर्षा दर्ज की गई है, जो औसत से 21 प्रतिशत ज्यादा है। एमपी के 21 जिलों में भिंड, छतरपुर, श्योपुर, ग्वालियर, नीमच, मुरैना, शिवपुरी, अशोकनगर, अलीराजपुर, सिंगरौली, राजगढ़, मंडला, सीधी, टीकमगढ़, गुना, नरसिंहपुर, दतिया, रतलाम, उमरिया, रायसेन और सिवनी में सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई। सर्वाधिक वर्षा गुना, मंडला श्योपुर, रायसेन और अशोकनगर में दर्ज हुई। प्रदेश के प्रमुख बांधों में जलभराव की स्थित की जानकारी भी प्रस्तुत की गई।

प्रभावित 17,500 कृषकों के लिए 20 करोड़ रूपए से अधिक की राहत राशि स्वीकृत

बैठक में बताया गया कि बाढ़ और अतिवृष्टि में कुल 394 जनहानि हुई और 5 हजार से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए। बाढ़ से 1814 पशुहानि भी दर्ज की गई। शिवपुरी, बुरहानपुर, दमोह, अशोकनगर, धार, छतरपुर, रायसेन, उमरिया, बड़वानी, मंडला और कटनी जिलों का कुल 12 हजार हेक्टेयर रकबा अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित हुआ है। प्रभावित 17 हजार 500 कृषकों के लिए 20 करोड़ से अधिक की राहत राशि स्वीकृत की गई है।

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