भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सभी प्रदेशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु के अवतार श्री श्रीकृष्ण द्वापर युग से आज तक सनातन और हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं में विशिष्ट स्थान रखते हैं। भारत का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां श्री कृष्ण विविध नामों से पूजनीय नहीं हो।

राजस्थान में श्रीनाथ तो केरल में गुरुवायुर के रूप में पूजते हैं

सीएम डॉ. मोहन यादव ने आगे कहा कि राजस्‍‍थान में श्रीकृष्ण श्री नाथ जी के रूप में, केरल में गुरुवायुर, कर्नाटक में चेन्ना केशव, महाराष्ट्र में विट्ठल, प.बंगाल में मुरलीधर, आंध्र प्रदश में गोविन्द, ओडीशा में जगन्नाथ, असम में माधव, गुजरात में द्वारकाधीश, उत्तरप्रदेश और ब्रज में बाँके बिहारी के रूप में करोड़ों धर्मप्राणों के आराध्य हैं।

श्रीकृष्ण योगेश्वर भी हैं और लीलाधर भी

सीएम ने कहा कि भगवान श्री श्रीकृष्ण योगेश्वर भी हैं और लीलाधर भी। वे अन्याय के विरुद्ध न्याय के संघर्ष में महाभारत में सारथी है तो कूटनीतिज्ञ भी हैं। श्री श्रीकृष्ण तारणहार है तो रास रसैय्या भी। श्री मद भागवत कथा के रूप में कर्म की प्रधानता के उपदेशक हैं, तो द्वारकाधीश के रूप में प्रजावत्सल राजा। श्री श्रीकृष्ण का व्‍यक्तित्‍व जितना बहुवर्णी है उतनी ही उनकी लीलाएं। वे बाल गोपाल भी हैं, तो सुदर्शन चक्रधारी भी। किसी भी अवतार की तुलना में श्री श्रीकृष्ण अपने कृतित्व से जन-जन से जिस तरह जुड़े हैं, वह उन्हें दैवीय शक्तियों में अनूठा बनाता है।

भगवान कृष्ण ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से शिक्षा, ग्रहण की

मुख्यमंत्री ने कहा, “मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली है कि भगवान कृष्ण ने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से शिक्षा, ग्रहण की थी। मध्यप्रदेश के जानापाव में ही उन्हें भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ था। ग्राम नारायणा श्री श्रीकृष्ण एवं सुदामा का मैत्री स्थल है। धार जिले का अमझेरा श्री श्रीकृष्ण-रुक्मिणी प्रसंग के लिए प्रसिद्ध है। इन सभी स्थलों को तीर्थ के रूप में विकसित करने की सरकार की योजना है। मैं ऐसा मानता हूं कि मध्यप्रदेश आने से पहले वे भगवान कृष्‍ण थे, वे श्री कृष्ण, यहां शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही हुए।

इस साल से कृष्ण जन्मोत्सव पर्व शासकीय तौर पर सार्वजानिक अवकाश

सीएम ने कहा, मुझे यह बताते हुए खुशी है कि मध्यप्रदेश सरकार ने इस वर्ष से भगवान श्री श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी पर्व को शासकीय तौर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करते हुए श्री श्रीकृष्ण पर्व के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। प्रदेश के प्रमुख मठ मंदिरों की पहचान कर उनमें जन्माष्टमी पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों को सरकार और भव्य रूप देगी। श्री कृष्‍ण जी के आर्थिक विकास एवं सामाजिक समरस्‍ता की नीति से जोड़ते वृन्‍दावन ग्राम एवं गीता भवन जैसी विकास की योजनाओं पर कार्य किया जायेगा।

पुन: एक बार आप सभी को जन्माष्‍टमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। यह पर्व प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली लाए, यही कामना हैं।

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