तेलंगाना- मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज तेलांगाना के जयशंकर भूपालापल्ली जिले के मेदाराम में आयोजित सम्माक्का सरलाम्मा जतारा आदिवासी पर्व में शामिल हुए और वहां सम्माक्का सरलाम्मा देवी की पूजा-अर्चना की. मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि कुंभ के बाद श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ इस मेले में जुटती है.  इस मेले में छत्तीसगढ़ के भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.  मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं को वहां ठहरने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दो करोड़ रूपए की लागत से एक धर्मशाला के निर्माण की घोषणा की.  इसके लिए उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित तेलांगाना के उप मुख्यमंत्री कडियम श्रीहरि से भूमि आवंटित करने का आग्रह किया, जिस पर उन्होंने सहमति व्यक्त की.  मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आदिवासी पर्व में यदि एक से दो करोड़ लोग पहुंचते हैं, तो 30 से 40 फीसदी लोग छत्तीसगढ़ से आते हैं. उन्होंने कहा कि मैं 66 बरस का हो गया हूं, लेकिन आज तक ऐसा मेला मैंने नहीं देखा. कुंभ के बाद यदि सबसे ज्यादा भीड़ कहीं जुटती है, तो सम्माक्का सरलाम्मा जतारा के आदिवासी पर्व में ही जुटती है.

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को इस मेले में उनके वजन के बराबर 96 किलो गुड़ से तौला गया. देवी को गुड़ अर्पित किए जाने के बाद प्रसाद के रूप में उपस्थितों को वितरित किया गया.  मेले में तेलांगाना के आवास एवं विधि मंत्री ए. इंदिराकरण रेड्डी, छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण मंत्री केदार कश्यप और वन मंत्री महेश गागड़ा भी शामिल हुए.

उल्लेखनीय है कि सम्माक्का सरलाम्मा जतारा आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें तेलांगाना के अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के एक करोड़ से ज्यादा लोग शामिल होते हैं. इस त्यौहार में आदिवासी समाज अपनी पीड़ा और शौर्य को अभिव्यक्त करते हैं. वहां कोया आदिवासी समुदाय से जुड़े सम्माक्का सरलाम्मा मंदिर भी है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया है. इस मंदिर में दो महिलाओं सम्माक्का और सरलाम्मा को देवी के रूप में पूजा जाता है. मंदिर में प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है. सभी श्रद्धालु अपने साथ गुड़ लेकर इस मेले में पहुंचते हैं.