लखनऊ. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बोलते हुए सोमवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि एक जज ने सच बोला तो कुछ लोग उन्हें धमकाने लगे और ऐसे लोग खुद को लोकतांत्रिक कहते हैं. उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा और जज के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिए जाने की निंदा की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां बहुसंख्यक समाज सिर्फ समान नागरिक कानून मांग रहा है. ऐसी मांग करना कोई बुरी बात नहीं है. विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रहा है. आखिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने केवल समान नागरिक कानून की बात ही तो कही, इसपर विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग की नोटिस दे दिया.

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बता दें कि बीते 8 दिसंबर को प्रयागराज में आयोजित विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने समान नागरिक संहिता (UCC) का समर्थन करते हुए विवादास्पद बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि कानूनों को बहुसंख्यक समुदाय की प्राथमिकताओं के अनुसार बनाया जाना चाहिए और यह बयान उन्होंने सीधे तौर पर हिंदुस्तान की बहुसंख्यक समुदाय के प्रति निष्ठा के रूप में प्रस्तुत किया. जस्टिस यादव ने ये भी कहा कि समाज में जहां ज्यादा लोग होते हैं, उनकी राय को माना जाता है. उन्होंने विवादित बयान देते हुए कहा था कि ‘कठमुल्ले (कट्टरपंथी) देश के लिए घातक हैं.’

सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है मामला

इस बयान का विपक्षी दलों ने विरोध किया और उनके खिलाफ महाभियोग की मांग करते हुए राज्यसभा में नोटिस दिया. इनमें कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से रिपोर्ट मांगते हुए इसे गंभीरता से लिया है. उच्च न्यायालय से इस बयान से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी गई है और यह मामला अब विचाराधीन है.