रायपुर. पांच दिवसीय महा सुहृत महाशाक्त यज्ञ पंचम दिवस का यज्ञ गणपति होम के साथ प्रारंभ हुआ. उसके बाद महा सुहृत संपूर्णम यज्ञ हुआ, फिर महा भद्रकाली त्रिष्टूप्पू यज्ञ अनुष्ठान किया गया. इस कार्यक्रम में सीएम की धर्मपत्नी कौशल्या साय शामिल हुईं. पंडित राजीव रकुल ने बताया कि महातंत्र क्रिया विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो इस योग्य हैं, देवी भद्रकाली असीम समुद्धि और आनंद प्रदान करती है, देवी हर स्थिति में अपने सच्चे अनुयायियों की रक्षा करती है. देवी भवकाली वीरभद्र को महा विष्णु के क्रोध से बचाती है. यह किसी इच्छित उद्देश्य के लिए किया गया सबसे शक्तिशाली अनुष्ठान है.

उन्होंने बताया, अनुष्ठान मूल ऊर्जा को मजबूत बनाता है और उपासकों को सर्वोच्च कुल शक्ति प्रदान करता है. दुर्बल मंत्रवाद और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने वाला है. देवी असुर, गंधर्व, राक्षस, किन्नर, प्रेत और पिशाच द्वारा किए गए किसी भी नुकसान से सदैव सुरक्षा प्रदान करती है. देवी अपने सच्चे भक्तों के लिए सबसे शत्तिशाली कवच बन जाती है. महा त्रिकाल देवी पूजा की गई. सात्विक, राजसिक और तामसिक भाव के आहवान के साथ महादेवी को त्रिगुणात्मिका के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है. यह पूजा व्यक्ति के भीतर और संपूर्ण प्रकृति में मौजूद त्रिगणों में सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है. प्रकृतिः की सहायता से संतुलन की स्थिति में महायज्ञ शुरू करने में यह संतुलन महत्वपूर्ण है. आग्नेय त्रिष्टतुप्पू पूजा किया है. फिर शांति दुर्गा विशेष पूजा किया गया.

पूज्य राजीव रकुल के अनुसार जब शिव और विष्णु गण आपस में संघर्षरत हुए तो संपूर्ण विश्व त्रस्त हो गया। तब देव ने प्रार्थना की और हस्तक्षेप कर बुद्ध को रोकने के लिए आदि शक्ति का आह्वान किया। आदि पराशक्ति ने शांति दुर्गा के रूप में एक हाथ में भगवान शिव और दूसरे हाथ में भगवान विष्णु को चारित कर उन्हें तथा उनके गणों के बीच संघर्ष विराम कराया. देवी एकता का प्रतिनिधित्व करती है और अद्वैत की मां है, जो व्यक्ति को यह समझाती है कि संपूर्ण परमात्मा चैतन्य एक है और इसे केवल हमारे आंतरिक अस्तित्व को शांतिपूर्ण बनाकर ही महसूस किया जा सकता है। उसके बाद आह्वान पूजा किया है। देर रात गुप्त आवाह्नम पूजा की गई। यह मां भगवती की विशेष अनुष्ठान पूजा है जो शक्ति देती है।

पं. राजीव ने बताया वन दुर्गा विशेष पूजा अनुष्ठान किया गया, क्योंकि वर्तमान छत्तीसगढ़ में दंडकारण्य की अधिष्ठात्री देवी वनदुर्गा का आह्वान भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के दौरान किया था। भगवान राम ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि उनके भाई भरत अयोध्या छोड़ कर उनकी तलाश में घने जंगल में घूम रहे है। इस चुनौतीपूर्ण यात्रा के दौरान भरत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भगवान राम ने वन दुर्गा देवी की सहायता मांगी। देवी पवित्र स्थानों और आसपास रहने वाले अन्य आदि देवताओं की रक्षा करके पर्यावरण में संतुलन लाती है। वन देवी, जंगल और प्राकृतिक परिदृश्य की रक्षक हैं। यह ताकत, जीवन शक्ति प्रदान करती है और कुल वर्धन (अगली पीड़ियों के लिए शक्ति) में मदद करती हैं। यह महा पूजा पूरे छत्तीसगढ़ राज्य और इसके वन क्षेत्रों के लिए है, जहां आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे जंगल को संरक्षित और संरक्षित किया जा सकता है।

नृत्य से की गई मां भगवती की आराधना

गुरु विचित्रानंद स्वैन और रुद्राक्ष फाउंडेशन ने महादेवी की महा माया को प्रदर्शित करने के लिए विश्व प्रसिद्ध ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया. इसके अलावा पांच इंद्रियों को उत्तेजित करने और यज्ञ शाला के भीतर कंपन की उच्च स्थिति में देवी का अह्वान करने के लिए केरल पंच वाद्यम का प्रदर्शन चोट्टानिक्कारा सत्यन मरार और उनकी टीम ने किया. महायज्ञ के आखिरी दिन सीएम विष्णु देव की पत्नी कौशल्या साय, छत्तीसगढ और मध्यप्रदेश के संघ प्रमुख डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना समेत भापजा के कई नेता और संघ व विहिप से जुड़े लोग शामिल हुए.

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