Coal Miners Day : खनिक हर दिन सुरंग खोदकर और कोयला निकालकर अपनी जान जोखिम में डालते हैं. कई खनिक फेफड़ों की बीमारियों का सामना कर रहे हैं, जो पूरे दिन कोयले की धूल में सांस लेते है. मजदूर गैंता के दम पर खनन कार्य करते. कोयला खनिक आज भी अपनी जान को जोखिम में डालकर इस काम को करते हैं. कोयला क्षेत्रों (coal fields) में काम करने वाले सबसे कठिन पेशेवरों और खनिकों के लिए हर साल 4 मई को कोयला खनिक दिवस (Coal Miners Day) मनाया जाता है.
कोयला एक प्राकृतिक संसाधन है, लेकिन इसे उपयोग के लिए बाहर निकालना आसान नहीं बल्कि इसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. देश की सबसे पुरानी कोल माइंस छत्तीसगढ़ के चिरमिरी में है. आग लगी खदान में बारूद बिछाने से लेकर विस्फोट कराने तक की जिम्मेदारी कोयला खनिक निभा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में देश के कुल कोयले के भण्डार का लगभग 17 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में है. छत्तीसगढ़ में भारत का तीसरा सबसे बड़ा कोयला भंडार है. डोलोमाईट पर आधारित हर पांचवा उद्योग छत्तीसगढ़ पर निर्भर है, क्योंकि हमारे पास देश के कुल डोलोमाईट का लगभग 12 प्रतिशत भण्डार है. भारतीय भू- वैज्ञानिक सर्वेक्षण की ताजा रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ में 741917.6 लाख टन कोयले के नए भंडार मिलने की पुष्टि हुई है.
छत्तीसगढ़ सरकार को उसके कुल राजस्व का 48 फीसदी हिस्सा यहां की खदानों से निकलने वाले काले हीरे यानी कोयले से मिलता है. इन खदानों से राज्य को हर वर्ष करीब 20 अरब रुपये का राजस्व प्राप्त होता है. ओडिशा व झारखंड के बाद तीसरे नंबर पर सबसे अधिक कोयले का भंडार छत्तीसगढ़ में है. उत्तर छत्तीसगढ़ में कोयले का अकूत भंडार है. यह खदान सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लाक में संचालित है. छत्तीसगढ़ में मुख्यतः बिटुमनी प्रकार का कोयला प्राप्त होता है. छत्तीसगढ़ में इन क्षेत्रों में पाया जाता है सबसे ज्यादा कोयला.
कोरबा कोयला क्षेत्र
कोरबा क्षेत्र राज्य के कोयला उत्पादन क्षेत्र का सबसे बड़ा क्षेत्र है. कोरबा क्षेत्र में लगभग 1,51,432.9टन कोयला भंडार है. ये क्षेत्र लगभग 626 वर्ग किमी में फैला हुआ है.
रायगढ़ कोयला क्षेत्र
रायगढ़ क्षेत्र कोयला का सबसे अधिक भंडारण क्षेत्र है. ये मांड -केलो नदी की घाटी क्षेत्र है। करीब 1,53,581.7लाख टन कोयले का अनुमानित भण्डार है. मांड नदी घाटी कोरबा के पश्चिमी क्षेत्र से जुड़ा है. इसका 518 वर्ग किमी मे फैला हुआ उत्तरीय क्षेत्र है। तथा दक्षिण भाग 40 किमी की विस्तार पर फैला हुआ है.
सरगुजा कोयला क्षेत्र
विश्रामपुर – इसका विस्तार लगभग 1036 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तृत है जहा 239 मिलियन टन कोयले कसंचित भण्डार है.
तातापानी -रामकोला – कोयला क्षेत्र का विस्तार सरगुजा के उत्तरी क्षेत्र में है. इस कोयले का विस्तार लगभग 260 वर्ग किमी में है. यहां का कोयला व्यावसायिक दृस्टि से उपयोगी नहीं है.
लखनपुर – यह सरगुजा के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित है इस कोयला क्षेत्र का विस्तार 340 वर्ग किमी है.
कोरिया कोयला क्षेत्र
इसे चिरमिरी -क़ुरासिया कोयला क्षेत्र भी कहा जाता है. यह कोरिया के दक्षिण भाग में स्थित है. इस क्षेत्र का विस्तार लगभग 130 वर्ग किमी है. यहां उत्तम किस्म का कोयला मिलता है. कोयला का संचित भण्डार लगभग 12154. 1 लाख टन है. सोनहत कोयला क्षेत्र कोरिया के पूर्वी भाग में स्थित है.
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