Cold Feet During Prayer: पूजा-पाठ के दौरान आपने कभी यह अनुभव किया होगा कि आपके पैर अचानक ठंडे हो गए हों, जबकि कमरे में सामान्य तापमान हो या मौसम भी ज़्यादा ठंडा न हो. यह एक साधारण शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाह से जुड़ी एक रहस्यमयी अनुभूति हो सकती है.

अध्यात्म के अनुसार, हमारा शरीर केवल मांस और रक्त से नहीं बना है, बल्कि यह प्राण ऊर्जा, चक्रों और नाड़ियों का एक सूक्ष्म तंत्र भी है. जब कोई व्यक्ति ध्यान, जप या पूजन में गहराई से लीन होता है, तो उसकी ऊर्जा का संचार ऊपर की ओर बढ़ने लगता है. यह वही ऊर्जा है जिसे ‘कुंडलिनी’ शक्ति भी कहा जाता है.

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Cold Feet During Prayer

Cold Feet During Prayer

पैरों में ठंड का अहसास क्यों होता है? (Cold Feet During Prayer)

जब पूजा के समय हमारी चेतना उच्च स्तर पर जाती है, तब शरीर की नीचे की ओर की ऊर्जा (जैसे मूलाधार चक्र में संचित ऊर्जा) ऊपर की ओर खिंचने लगती है. इस कारण पैरों में रक्त संचार धीमा पड़ सकता है या वहाँ ऊर्जा का बहाव कम हो सकता है, जिससे हल्का ठंडापन महसूस होता है. यह दर्शाता है कि साधक की ऊर्जा ऊपर के चक्रों – जैसे अनाहत (हृदय), आज्ञा (मस्तिष्क), और सहस्रार (सिर के ऊपर) की ओर केंद्रित हो रही है.

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क्या यह शुभ संकेत है? (Cold Feet During Prayer)

हाँ, आमतौर पर इसे शुभ और सकारात्मक संकेत माना जाता है. इसका अर्थ है कि साधक की साधना असर कर रही है और वह सूक्ष्म ऊर्जा के स्तर पर किसी परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है.

किन स्थितियों में यह चेतावनी भी हो सकती है? (Cold Feet During Prayer)

यदि पैरों का यह ठंडापन भय, चिंता या नकारात्मक ऊर्जा के समय हो रहा है, तो यह किसी ‘एनर्जी ब्लॉक’ या आसपास की नकारात्मक उपस्थिति का भी संकेत हो सकता है. ऐसे में गंगाजल छिड़कना, हनुमान चालीसा पाठ या शुद्धिकरण मंत्रों का उच्चारण लाभकारी हो सकता है.

ध्यान देने योग्य बातें (Cold Feet During Prayer)

यह अनुभव अगर बार-बार हो रहा है तो पूजा से पहले थोड़ा जल पीना और पीठ सीधी रखकर बैठना ऊर्जा प्रवाह को संतुलित कर सकता है. ठंड के मौसम में यह शारीरिक कारण से भी हो सकता है, ऐसे में इसे साधारण ताप नियंत्रण से अलग करके देखें.

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