रोहित कश्यप, मुंगेली. प्रसिद्ध गांधीवादी प्रख्यात समाजसेवी प्रोफेसर डाॅ. प्रभुदत्त खेड़ा का सोमवार को सुबह 10.37 बजे अपोलो अस्पताल बिलासपुर में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार 24 सितम्बर को मुंगेली जिले के लोरमी विकासखण्ड के ग्राम लमनी अचानकमार में किया जाएगा. वे लगभग 9 माह से अस्वस्थ थे.
कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे की उपस्थिति में समय सीमा बैठक के बाद कलेक्टोरेट स्थित मनियारी सभाकक्ष में अधिकारियों ने दो मिनट मौन धारण कर डाॅ. पी.डी. खेड़ा को श्रद्धांजलि दी. कलेक्टर ने बताया कि प्रोफेसर डाॅ. प्रभुदत्त खेड़ा का सबेरे अपोलो अस्पताल बिलासपुर में निधन हो गया. वे प्रसिद्ध गांधीवादी और समाजसेवी थे. डाॅ. खेड़ा अचानकमार क्षेत्र के ग्राम लमनी में बैगा आदिवासियों के बच्चे को शिक्षा देने में अपने जीवन को समर्पित किया.
गौरतलब है कि डाॅ. खेड़ा विगत 35 वर्षों से अचानकमार क्षेत्र के ग्राम लमनी में आदिवासी बच्चों को शिक्षित कर रहे थे. बैगा आदिवासियों के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया.
छत्तीसगढ़ शासन ने कुछ माह पहले स्व. डाॅ. खेड़ा को पहला गांधी स्मृति सम्मान प्रदान किया. वे दिल्ली विश्वविद्यालय में समाज शास्त्र 15 वर्ष तक पढ़ाते रहे. डाॅ. खेड़ा सन 1983-84 में बिलासपुर आयें. इस दौरान वे अचानकमार के जंगल घुमने गये वहां पर आदिवासी बच्चों को शिक्षा से दूर देखकर लमनी गांव में ही बसने का फैसला कर लिया.
इस मौके पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एचके शर्मा, अपर कलेक्टर राजेश नशीने, एसडीएम मुंगेली रूचि शर्मा, एसडीएम पथरिया बृजेश सिंह क्षत्रिय, डिप्टी कलेक्टर डाॅ. आराध्या कमार, आरआर चुरेंद्र, आरके तम्बोली सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे.