जितेन्द्र सिन्हा, गरियाबंद. कौंडकेरा गांव से क्षतिपूर्ति की राशि में घोटाले का मामला सामने आया है. जिसमें ग्रामीणों ने पटवारी पर राशि दिलाने में गड़बड़ी करने के साथ ही अपने करीबीयों को 100% राशि दिलाने का आरोप है.

दरअसल जिले के कौंडकेरा गांव में साल 2020-21 में ओलावृष्टि होने से किसानों की रबी फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी. जिसपर ग्रामीणों ने कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक जाकर नष्ट हुई फसल की क्षतिपूर्ति की राशि की मांग की थी. इस पर सीएम ने क्षतिपूर्ति की राशि देने का ऐलान कर कलेक्टर को नियमतः सर्वे कर गिरदावरी रिपोर्ट बनाकर शासन को प्रस्तुत करने कहा था. कलेक्टर ने मौके पर तत्कालीन हल्का पटवारी अभिषेक चतुर्वेदी को गिरदावरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने आदेशित किया. लेकिन पटवारी ने अपने कार्यालय में ही बैठकर सभी किसानों की गिरदावरी रिपोर्ट तैयार की और शासन को भेज दिया. वहीं ग्रामीणों का ये भी आरोप है कि पटवारी ने अपने करीबियों को 100% क्षतिपूर्ति राशि दिलवाई.

सर्वे रिपोर्ट गायब

इतना ही नहीं, ग्रामीणों का कहना है कि कई लोग ऐसे भी हैं जिनके नाम पर मात्र 1 या 2 एकड़ कृषिभूमि शासन के रिकॉर्ड में दर्ज है, लेकिन ऐसे लोगों के नाम पर 15 से 20 एकड़ की जमीन दिखाकर 100% फसल क्षतिपूर्ति की राशि का लाभ पटवारी द्वारा दिलाया गया है. जबकि जिन किसानों की 100% फसल नष्ट हो चुकी थी उन्हें उनके जमीन के 25% हिस्से की क्षतिपूर्ति राशि भी नसीब नहीं हुई. साथ ही कई किसान ऐसे भी हैं जिनका नाम ही सर्वे रिपोर्ट से गायब है. इस बात की जानकारी ग्रामीणों को तब हुई जब ग्रामसभा में सबके सामने फसल क्षतिपूर्ति मिलने वाले किसानों के नाम का आंकलन किया गया.

भाजपा नेताओं के घोटाले में लिप्त होने का आरोप

ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है कि कांग्रेस शासनकाल में भी भाजपा के लोग भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं. क्योंकि जिन किसानों की जमीन के रकबा को बढ़ाकर फसल क्षतिपूर्ति की राशि जारी की गई है, उनमें भाजपा मंडल राजिम के पूर्व अध्यक्ष और उसके परिवार के अन्य लोग, कौन्दकेरा स्कूल के सांसद प्रतिनिधि और भाजपा पार्टी के समर्थित लोग हैं. तो वहीं जिन्हें फर्जी तरीके से किसान बताकर फसल क्षतिपूर्ति की राशि जारी की गई है, उनमें नगर पंचायत के सांसद प्रतिनिधि, भाजयुमो की जिला उपाध्यक्ष समेत जिला कार्यसमिति सदस्य शामिल हैं.

ग्रामीणों ने की जनचौपाल में सुनवाई करने की मांग

ग्रामीणों का आरोप है कि यहां कुछ लोगों द्वारा पटवारी और कोटवार के साथ सांठगांठ कर ओलावृष्टि की क्षतिपूर्ति की राशि में भारी भ्रष्टाचार किया गया है. बहरहाल ग्रामीण इसकी उच्चस्तरीय जांच जिले के अधिकारियों को छोड़कर राज्य के अधिकारियों की टीम के द्वारा सार्वजनिक रूप से जनचौपाल लगाकर कराना चाहते थे. ग्रामीणों की इस मांग पर राजिम तहसीलदार राजस्व अमले के साथ गरियाबंद कलेक्टर ने कौंडकेरा के बाजार चौक में जन चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्या सुनकर मामले में उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया. वहीं जिला पंचायत सीईओ रोक्तिमा यादव ने भी ग्रामीणों को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.

झूठ बोल रहा पटवारी- पूर्व सरपंच

इस मामले में तत्कालीन पटवारी अभिषेक चतुर्वेदी का कहना है कि किसी भी किसान को फर्जी तरीके से राशि नहीं दिया गया है, रेगहा में खेत लिए थे, इसलिए राशि दी गई है. वहीं किसान व ग्राम पंचायत कौन्दकेरा के पूर्व सरपंच पुरुषोत्तम साहू ने कहा कि पटवारी और कोटवार की मिलीभगत से फर्जी किसानों को मुवावजा राशि प्रदान की गई है. यदि रेगहा लेने वाले किसानों को मुआवजा राशि दिया गया है तो मैंने स्वयं रेगहा में फसल बोया था. तो फिर मुझे क्यो मुवावजा राशि नहीं दी गई. पटवारी झूठ बोलता है.

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