सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। शिक्षा का मंदिर कहलाने वाले शैक्षणिक संस्थानों में लूट मची हुई है. शिक्षा को दुकान बना चुके ऐसे ही बीएड-डीएड कॉलेजों की मनमानी का छात्रों और पालकों ने स्टिंग किया, जहां कोर्स में दाखिला के नाम पर प्रबंधन निर्धारित फीस से दो गुना-तीन गुना रकम वसूल रहा है. वहीं आर्थिक हालत अच्छी नहीं होने के बाद भी छात्रों को रकम देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. यह भी पढ़ें : जनपद और ग्राम पंचायत की संपत्ति कुर्क : कोर्ट के आदेश पर तहसीलदार ने की कार्रवाई, पीड़ित परिवार को मिलेगी सहायता राशि
शैक्षणिक संस्थानों की मनमानी से परेशान छात्रों-पालकों ने खुद बीएड-डीएड कॉलेजों का स्टिंग करने के बाद लल्लूराम डॉट कॉम से साझा किया. छात्रों-पालकों ने जिन कॉलेजों का स्टिंग किया, उनमें शिव शक्ति डीएड बीएड कॉलेज खोरसी जांजगीर, ज्ञानदीप डीएड बीएड कॉलेज जांजगीर, JES फरहदा गौतरा बिलासपुर, लाल बहादुर शास्त्री डीएड बीएड कॉलेज बलौदा जांजगीर, राधा कृष्णा बीएड कॉलेज नवागढ़ जांजगीर शामिल हैं.
चोरी ऊपर से सीनाज़ोरी
वीडियो को देखने के बाद जो बात सबसे पहले सामने आई कि जब रैंक लेकर अभ्यार्थी इन कॉलेजों में पहुंचे तो किसी कॉलेज में एक लाख रुपए तो किसी कॉलेज में डेढ़ लाख रुपया देने की बात कही गई. अगर अभ्यर्थी ने सवाल उठाया कि जब फीस 30-34 हज़ार निर्धारित है, तो इतना अधिक क्यों ले रहे हैं? इस पर टका सा जवाब दे दिया गया कि जो रकम बताई जा रही है, वह दें, नहीं तो सीट खाली कर दें.
200 करोड़ से ज्यादा का घोटाला
प्रदेश में बीएड के 143 कॉलेज हैं. सभी कॉलेजों में सौ-सौ सीटें हैं. इसी तरह से डीएड के 90 कॉलेज में प्रदेश भर में संचालित हैं, जिसमें 6760 सीट हैं. दोनों को मिलाकर डीएड-बीएड की 21,000 सीट हैं. अगर जाँच होती है, तो 200 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आएगी.
डीएड बीएड संघ के अध्यक्ष दाउद खान ने बताया कि 10 जिलों में स्थित कॉलेजों का वीडियो हमारे पास है. किसी जगह एक लाख मांग रहे हैं, तो किसी जगह डेढ़ लाख, तो कहीं 90 हज़ार मांग रहे हैं. जबकि फ़ीस 30,000-34,000 निर्धारित है.
केवल फीस का ही नहीं है मसला
जानकार बताते हैं कि प्रदेश के बीएड-डीएड कॉलेजों में केवल फीस का ही मसला नहीं है. बहुत से छात्र केवल डिग्री के चक्कर में कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं, ऐसे छात्रों को पढ़ाई के कोई मतलब नहीं होता है, केवल काम के लिए डिग्री चाहिए होती है. ऐसे में वे संस्थान जितनी भी पैसों की मांग करे, भरने के लिए एक पैर पर खड़े रहते हैं. ऐसे छात्रों की वजह से गंभीर छात्रों को भुगतना पड़ता है.
बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा
जानकार बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में बीएड-डीएड कॉलेजों की बदनामी इस कदर है कि पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी लोग यहां कोर्स में एडमिशन लेने के लिए आते हैं. ओडिशा में जो काम क्लास में लगातार उपस्थित रहने के बाद भी नहीं हो पाता है, वह छत्तीसगढ़ के कॉलेजों में बिना क्लास में जाए हासिल हो जाता है.
ऐसे कॉलेजों पर सरकार करे कार्रवाई
डीएड बीएड कॉलेज संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने ज्यादा फीस लिए जाने को गलत बताते हैं. उनका कहना है कि शासन को इस बात की जांच करनी चाहिए. जांच में दोषी पाए जाने पर तत्काल संस्थान की मान्यता निरस्त करनी चाहिए.
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