रायपुर. राजधानी रायपुर के राजकुमार कॉलेज के प्राचार्य कर्नल अविनाश सिंह 17 सितंबर को दोपहर 12 बजे एक निजी मीडिया के फेसबुक पेज पर लाईव आएंगे. प्राचार्य कर्नल अविनाश सिंह इस लाईव पर प्रकाशित एक कहानी ‘हम तो चले धूमने’ पर अपने अनुभव साझा करने वाले हैं. इसके साथ ही ‘स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों का पालन’ विषय पर चर्चा करेंगे.
प्राचार्य कर्नल अविनाश सिंह ने बताया की उन्होंने एक आर्टीकल लिखा है, जिसमें वो देशभर में महिलाओं के साथ हो रहे उत्पीड़न पर अपनी बात रखेंगे. कैसे महिलाएं कम उम्र में विधवा हो जाती है, उसके बाद उन्हें कई तरह की प्रताड़ना और उत्पीड़न झेलनी पड़ती है. जिस लड़की पर ये आर्टीकल लिखा जा रहा है उसके लिए प्राचार्य कुछ अच्छा करना चाहते हैं और कुरितियों को हटाना चाहते हैं.
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हर नागरिक एक सैनिक
यह मेरा सौभाग्य है कि दो पवित्र कार्यक्षेत्रों सेना और शिक्षा के माध्यम से देश की सेवा करने का सुअवसर मिला. मैंने पासिंग आउट परेड में देश सेवा की शपथ ली थी. अंतिम पथ पर फील्डमाशल सर फिलिपफेटवुड शब्द आज भी मुझे प्रेरित करते हैं. आपके देश की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण हमेशा और हर वार सर्वाप्रथम है. इस प्रकार की भावना देश के प्रत्येक नागरिक के मन में भी होनी चाहिए. अपना स्वार्थ त्याग कर पहले देश फिर देशवासी और अंत में हम. मानवता के छोटे-छोटे कार्यों से प्रत्येक नागरिक देश के विकास में सहयोगी हो सकता है.
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इसके अलावा रायपुर में प्रसिद्ध राज कुमार कॉलेज के 120 एकड़ के परिसर में पिछले कुछ वर्षों में वर्तमान प्राचार्य कर्नल अविनाश सिंह के उत्साह के कारण बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है. परिसर में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और पुराने जल निकायों के रिचार्जिंग को देखा गया है, जिससे यह शहर के लिए एक हरा फेफड़ा और साथ ही कई वृक्षारोपण प्रजातियों का नया घर बन गया है.
राज कुमार कॉलेज, मूल रूप से 1882 में मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थापित किया गया था, बाद में 1894 में रायपुर में ग्रेट ईस्टर्न रोड पर स्थित वर्तमान परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया था. स्कूल को शुरू में वंशजों की शिक्षा के लिए एक केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था. छत्तीसगढ़ की रियासतें. समय के साथ स्कूल एक प्रमुख शिक्षा केंद्र बन गया और अब यह राज्य का प्रमुख पब्लिक स्कूल है.
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