रोहित कश्यप, मुंगेली। सर्वसुविधायुक्त कालोनी का सपना दिखाकर प्लॉट बेचने वाले कॉलोनाइजर के कारनामे पूरे कालोनी वासी परेशान है आलम यह है कि मूलभूत सुविधा तो दूर कॉलोनाइजर ने कालोनी के गार्डन और गरीबों के लिए आरक्षित ईडब्ल्यूएस जमीन को भी नगरपालिका के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर बेच डाला है.

मामला बिलासपुर रोड स्थित सोनकर सिटी कालोनी का है. कॉलोनाइजर श्याम बिल्डकॉन ने नियम विपरीत गार्डन और गरीबों के लिए आरक्षित 15 प्रतिशत जमीन को बेच कर रजिस्ट्री तक करा दी है. यह खेल विगत 8 वर्षों से चल रहा है, लेकिन नगरपालिका ने इस मामले में केवल औपचारिकता ही निभाई है, क्योंकि नोटिस के अलावा कुछ नहीं किया गया. यहां तक इतना बड़ा कारनामा होने के बावजूद जिला प्रशासन ने मामले पर संज्ञान लेना जरूरी भी नही समझा.

बता दे कि सोनकर सीटी के प्रोपाइटर मुंगेली नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष सन्तुलाल सोनकर के पुत्र है. यही वजह है कि यह मामला सुर्खियों में है. सवाल ये है कि नगरपालिका ने अपने अधिकार से हटकर आखिर टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग के रिकार्ड में गार्डन व ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित जमीन को बेचने की अनुमति कैसे दे दी. इसके अलावा जमीन बेचने के बाद रजिस्ट्री भी हो गई, और क्रेता के नाम नामांतरण भी हो गया.

कॉलोनाइजर की इस करतूतों को क्रेता तब समझ पाए जब नगरपालिका से भवन निर्माण की एनओसी और बैंक लोन के लिए आवेदन किए. कॉलोनाइजर ने हाथों ठगे जाने के बाद अब पीड़ित न्याय के लिए चक्कर लगा रहे है, वहीं कालोनीवासी बताते हैं उनके साथ  भई धोखेबाजी की गई है. उन्हें कॉलोनी को विकसित किए बना प्लाट बेचा गया है, जहां रिकार्ड में तो सबकुछ है, लेकिन धरातल में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. यही नहीं आवासीय प्लॉट का कमर्शियल उपयोग किया जा रहा है, जो कालोनी वासियों के लिए मुसीबत बनकर रह गया है.

कांग्रेसी पार्षद कर चुके हैं शिकायत

कांग्रेसी पार्षदों ने नगर पालिका अध्यक्ष सन्तु लाल सोनकर को इस मामले में घेरने की कोशिश की है, साथ ही इसकी शिकायत कलेक्टर से की है. वहीं दूसरी ओर सन्तु लाल सोनकर मानते हैं कि नगरपालिका से अनुमति मिलने के बाद सोनकर कॉलोनी में गार्डन व ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित जमीन बेची गई है.

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तत्कालीन सीएमओ ने बताया फर्जी

मामले में नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओ हरबंश सिंह ने अपने पदस्थापना के दौरान जारी किए गए अनुमति पत्र को सोशल मीडिया में जारी कर कहा है कि इसमें जो साइन हुआ है, उसे उन्होंने ने नहीं किया है. दस्तावेज में फर्जी हस्ताक्षर किया गया है. साथ ही उन्होंने किसी भी जांच के लिए तैयार रहने की बात कही है. हरबंश सिंह ने फेसबुक में पोस्ट करने के बाद उसे डिलिट भी कर दिया है.

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