पुरषोत्तम पात्र, गरियाबंद. सूखत के चलते कर्ज में डूबे सहकारी समितियों के प्रभारियों ने धान खरीदी प्रक्रिया से दूरी बना ली थी. यहां टोकन नहीं कट रहा था. जब कलेक्टर ने कहा कि दुरस्थ केंद्रों का उठाव इस बार जल्द होगा और बफर लिमिट दोबारा तय होगी, तब जाकर समिति प्रभारी प्रक्रिया में शामिल हुए. अब कल यानी 1 नवम्बर से धान खरीदी की तैयारी प्रशासन ने पूरी कर ली है.

31 अक्टूबर को इसके लिए टोकन काटना जरूरी था. लेकिन सहकारी समितियों के प्रबंधक जो खरीदी प्रभारी भी होते हैं, वे प्रक्रिया से अलग हो गए थे. जिलेभर में 81 केंद्र हैं जहां प्रारंभिक प्रक्रिया ही ठप हो गई थी. चूंकि ऑनलाइन टोकन की प्रक्रिया अभी ज्यातर किसानों को समझ नहीं आई है, ऐसे में खरीदी केंद्रों में टोकन कटना बंद हो गया था. 3 बजे तक प्रसाशन परेशान रहा. फिर 3 बज कलेक्टर प्रभात मलिक ने प्रबंधको के प्रतिनिधि मंडल को बुलाया. चेंबर के भीतर 40 मिनट की चर्चा का आखिरकार सकारात्मक परिणाम निकला.

प्रबंधक संघ के अध्य्क्ष प्रमोद यादव ने बताया की तीन महीने से जिस मांग के लिए ज्ञापन सौंपा गया था, उसे पूरा करने का आश्वसन कलक्टर सर ने दिया है,. बताया गया कि अनुबंध के आधार पर उठाव होगा. अंतिम खरीदी के बाद अक्सर देवभोग और मैनपुर केंद्र का उठाव 3 से 4 महीने देर से होता है. अब 1 महीने के भीतर उठाव करने कलक्टर प्रभात मलिक ने आश्वस्त किया है. खरीदी फड़ के अनुपात में बफर लिमिट ज्यादा रखा गया था. अब दोबारा लिमिट तय किया जाएगा. निर्धारित मापदंड के भीतर सूखत मान्य किया जाएगा. पिछले साल का कमीशन राशि जो अब तक लंबित है, उसका भी जल्द भुगतान होगा. इन्हीं आश्वासनों के बाद सभी खरीदी प्रभारी आज शाम 4 बजे तक समितियो में वापस काम पर लौट गए.

पिछले सीजन दबाव पूर्वक हुई वसूली

देवभोग और मैनपुर ब्लॉक के 25 से भी ज्यादा केंद्रों में पिछले सीजन में भारी मात्रा में सूखत आया था. जिला अफसरों की टीम ने कड़े नोटिस के माध्यमों से खरीदी प्रभारियों से वसूली शुरू कर दी. बाइक जब्त करने के अलावा सम्पति कुर्की और एफआईआर दर्ज कराने अफसर डटे रहे. दबाव ऐसा बनाया कि 15 महीने का एडवांस तनख्वा निकालकर सूखत का भुगतान किया गया. भुगतान के लिए अंतर की मात्रा का टीओ मिलर्स के नाम काटा गया. जहां खरीदी प्रभारियों ने रकम केस जमा किया. अकेले देवभोग ब्लॉक में 60 लाख की भरपाई 6 खरीदी केंद्रों ने किया था.

रंग सुतली और रखरखाव के लिए 15 साल पुराना दर-खरीदी केंद्रों में सुतली, रंग, रखरखाव के अलावा बिजली और अन्य सारा प्रबंध खरीदी केंद्र को करना होता है. जिसके लिए 2008 में 12 रुपये प्रति क्विंटल केंद्रों को दिया जाता है. विगत 15 वर्षों में महंगाई 30 से 40 फीसदी बढ़ गया है, बावजूद आज भी उसी दर पर भुगतान होता है.