कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। नगर निगम द्वारा 8 सितंबर को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उपजे जाति विवाद को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर बनाई गई कमेटी ने जांच तेज कर दी है. सम्राट मिहिर भोज की जाति से संबंधित साक्ष्य जुटाने के लिए नगर निगम के द्वारा चार टीमें गठित की गई हैं.
टीम देश के अलग-अलग शहरों में जाकर उनकी जाति से संबंधित शिलालेख, दस्तावेज आदि खंगालेगी, इन टीमों में राजस्व निगम और पुलिस के अधिकारी शामिल है. आज यह टीम ग्वालियर से रवाना होगी. एक टीम अक्षरधाम मंदिर के उपवन में स्थापित उसकी प्रतिमा, दूसरी टीम हरिद्वार उत्तराखंड, तीसरी टीम सम्राट मिहिर भोज पीजी कॉलेज दादरी ग्रेटर नोएडा और चौथी टीम ग्राम अनंगपुर फरीदाबाद हरियाणा पहुंचेगी. यह टीम कुछ दिनों तक इन स्थानों पर रुककर राजा मिहिर की जाति संबंधित साक्ष्य जुटाकर जांच कमेटी के अध्यक्ष संभाग आयुक्त आशीष सक्सेना को अपनी रिपोर्ट सौपेंगी.
दरअसल, सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा ग्वालियर के चिरवाई नाके पर स्थापित की गई थी. प्रतिमा का अनावरण ग्वालियर नगर निगम के द्वारा ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर और कांग्रेस विधायक डॉ सतीश सिकरवार द्वारा किया गया था, लेकिन इस दौरान प्रतिमा पर सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर लिख दिया गया था. जिसको लेकर क्षत्रिय समाज द्वारा इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी. इसी बीच कुछ अज्ञात लोगों ने प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने का भी प्रयास किया जिसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.
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सम्राट मिहिर भोज गुर्जर है या क्षत्रिय. इसको लेकर उपजे विवाद के चलते ग्वालियर के साथ मुरैना और भिंड में तनाव का माहौल बना हुआ है. यही कारण है कि मामले को लेकर जहां जिला प्रशासन द्वारा एक कमेटी बनाकर इतिहास के पहलुओं पर जांच की जा रही है. साथ ही मामले को लेकर एक याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में भी दायर की गई थी. जिस पर हुई सुनवाई में यह बात भी सामने निकल कर आई कि जब नगर निगम की परिषद में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लगाने का ठहराव हुआ उस वक्त दस्तावेजों में इस बात को संबोधित किया गया था कि चिरवाई नाके पर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई जाएगी, लेकिन अब जब प्रतिमा को स्थापित किया गया तो प्रतिमा की शिला पट्टिका में उनका पूरा नाम गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिख दिया गया.
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यही कारण है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किए हैं कि तत्काल शिला पट्टिका को ढका जाए, ताकि उपजे विवाद को शांत किया जाए. गौरतलब है कि मामले की अगली सुनवाई अब 20 अक्टूबर को होगी. इस दौरान जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई कमेटी को इस मामले से जुड़ी हुई अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी होगी. जिसके बाद न्यायालय द्वारा इस मामले पर आगे निर्णय लिया जाएगा. बहरहाल शिला पट्टिका को हाइकोर्ट के निर्देश पर टीन शेड से कवर कर दिया गया.
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