राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना कम होने पर सरकार को अधिकारियों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को तुलनात्मक प्रजेंटेशन दिया. सीएम शिवराज सिंह ने खुद रविवार को  जिला क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक ली. बैठक में अधिकारियों ने अमेरिका, इंग्लैड, इटली, सिंगापुर से प्रदेश के कोरोना का आकलन किया गया. हालांकि अमेरिका से सड़कों की तुलना करने के बाद अब अमेरिका, इंग्लैंड से मप्र के कोरोना की तुलना की जा रही है.

बता दें कि सरकार ने कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर को लेकर तुलनात्मक आकलन किया. विदेशों के राज्यों में कोरोना कैसे आया, कैसे नियंत्रण पाया और अब क्या प्लानिंग है, इसका भी आकलन किया गया. डिस्ट्रिक्ट क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खुद इसकी जानकारी दी.

बैठक में अमेरिका की स्थिति पर भी तुलना की गई. अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका में मई, जून, और जुलाई में तकरीबन 3 महीने के बाद 22 जुलाई 2020 को वहां दूसरी पीक आई और उसमें 10 लाख के पॉपुलेशन पर 202 केस आए. वहां तकरीबन चार महीने बाद तीसरी पीक भी आई. जो दूसरी पीक से बहुत ज्यादा प्रभावी थी. केसेस 10 लाख के पॉपुलेशन में 757 तक पहुंच गए. बैठक में बताया गया कि मोटे तौर पर अगर समझें तो अमेरिका में भी 3 महीने बाद दूसरी पीक आई और दूसरे पीक के बाद फिर 4 महीने में तीसरी पीक आई, जो और ज्यादा भयानक थी. फिर उसके बाद वैक्सीनेशन होने के कारण वहां केसेस कम हो रहे हैं.

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इंग्लैंड की स्थिति

क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में इंग्लैंड में कोरोना वायरल के मामले का भी तुलनात्मक आकलन किया गया. बैठक में बताया गया कि इंग्लैंड में कोरोना की शुरुआत थोड़ी जल्दी हुई थी. इंग्लैंड में पहली पीक 22 अप्रैल को आई, जिसमें 10 लाख के हिसाब से 72 केसेस आए. लॉकडाउन खुलने के बाद दूसरी पीक 7 महीने बाद आई. उसमें 10 लाख के पॉपुलेशन में 373 केस आए. वापस 10 जनवरी को तीसरी पीक आई, यानि दूसरी पीक से तीसरी पीक में बहुत ज्यादा समय नहीं लगा. तीसरी पीक बहुत ज्यादा भारी थी. 881 केस 10 लाख के पॉपुलेशन पर 10 जनवरी को आए. वहां 8 महीने लॉकडाउन की स्थिति रही, केसेस को कंट्रोल किया गया. अंतिम में 6 जून के बाद फिर से केसेस बढ़ना शुरू हो गए हैं. जबकि लगभग 50 प्रतिशत पॉपुलेशन को वैक्सीनेट कर चुके हैं. इसके बावजूद इंग्लैंड में पिछले एक हफ्ते से वहां केसेस बढ़ रहे हैं. ऑनलाक के बाद दूसरी पीक से तीसरी पीक में ज्यादा समय नहीं लगा. तीसरी पीक के बाद 4 महीने टोटल बंद रखा. 21 जून तक पूरा खोलने वाले थे, लेकिन फिर अब ये स्थिति आ गयी है कि चौथी पीक आने लगी. अब इंग्लैंड ये विचार कर रहा कि लॉकडाउन खोलें की न खोलें.

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सिंगापुर की स्थिति

क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में सिंगापुर के कोविड कंट्रोल मॉडल को आदर्श उदाहरण माना गया. बैठक में बताया गया कि सिंगापुर में 26 अप्रैल को पहली पीक आई. जब 172 केस 10 लाख के पापुलेशन पर थे. उन्होंने लॉकडाउन के साथ कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर को बहुत ज्यादा अपनाया. बिना मास्क के आज सिंगापुर से कोई बाहर नहीं निकल सकता है. 30 जुलाई को पीक उनकी बहुत कमजोर सी रही. 10 लाख के पॉपुलेशन में केस 172 से घटकर 69 हो गई और उसके बाद से जब से उन्होंने कंट्रोल किया है. लगातार उनका कंट्रोल बना हुआ है. वहां 100 से कम केस आते हैं और बहुत लिमिटेड केस रहते हैं. अधिकारियों ने तुलनात्मक आकलन करते हुए बताया कि उन्होंने कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर और लॉकडाउन को बहुत अफेक्टिव तरीके से पूरे सिंगापुर में लगा पाए, इसलिए कोई थर्ड पीक डेवेलप ही नहीं हुई. अब उनका वैक्सीनेशन भी आगे बढ़ने लगा है. कोविड संक्रमण को रोकने के हमने अनुकूल व्यवहार कर लिया तो एमपी में भी इस लहर बनने से रोक सकते हैं.

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इटली की स्थिति

बैठक में चर्चा हुई कि सबसे पहले कोविड का इंपैक्ट इटली में आया था, इटली में पहली पीक 28 मार्च को आई और 10 लाख के पॉपुलेशन के हिसाब से 92 केसेस आए. अप्रैल से नवंबर तक तकरीबन 7 महीने बाद उनकी दूसरी पीक आई. इटली में लॉकडाउन सबसे लंबे समय तक रहा, लेकिन जब दूसरी पीक आई तो बहुत तेज गति से उनके केसेस बढ़े. 11 अक्टूबर से 11 नवंबर तक एक पीक टच किए, 10 लाख के पॉपुलेशन के हिसाब से 580 केस पहुंचे. वहां फिर घटने शुरू हुए और एक लेवल तक स्टेबल हो गए. और फिर तीसरी पीक आई है. अच्छी बात ये रही कि इनकी तीसरी पीक दूसरी पीक से छोटी रही. तीसरी पीक लगभग 4 महीने के अंतराल पर आई और पूरी तरह अनलॉक नहीं था इसलिए केस भी नियंत्रित रहे.

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