जर्मनी में एक बार फिर अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू की जा सकती है। यह बात देश के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने जोनटाग्सत्साइटुंग अखबार को दिए एक इंटरव्यू में कही। उन्होंने कहा कि अगर नया स्वैच्छिक भर्ती मॉडल उम्मीद के मुताबिक लक्ष्य हासिल नहीं कर पाता है तो जर्मनी में एक बार फिर अनिवार्य सैन्य सेवा शुरू की जा सकती है।
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अगले साल से लागू हो सकती है योजना
रक्षा मंत्री ने बताया कि जनवरी 2026 से यह नई सैन्य सेवा मॉडल लागू करने की योजना है और इसकी तैयारी तेजी से की जा रही है। इसका मकसद बुंडेसवेअर (जर्मन सेना) की संख्या और क्षमताओं को बढ़ाना है, जो कि हाल के वर्षों में रूस-यूक्रेन युद्ध और यूरोप की बदलती सुरक्षा परिस्थितियों के कारण एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।
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6 महीने से लेकर एक साल तक दे सकते हैं सेवा, सैलरी भी मिलेगी
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस ने बताया कि नई सैन्य सेवा मॉडल को पहले चरण में पूरी तरह से स्वैच्छिक रखा है। यानी युवा अपनी मर्जी से सेना में शामिल हो सकेंगे। यह प्रस्ताव पिछली सरकार में पेश किया गया था। इसके तहत युवाओं को सेना में सेवाएं देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसमें फिजिकल ट्रेनिंग, तकनीकी कौशल और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण देने की योजना है।
इस योजना के तहत युवा छह महीने से लेकर एक साल तक की सेवा दे सकते हैं और उन्हें एक मानदेय(सैलरी) भी मिलेगा। उन्होंने कहा, “अगर भविष्य में हमारी प्रशिक्षण क्षमता स्वयंसेवकों की संख्या से अधिक हो जाती है, तो हमें अनिवार्य सेवा पर लौटने का निर्णय लेना पड़ सकता है। यही हमारा रोडमैप है।” सरकार को उम्मीद है कि यह स्कीम युवाओं में देशभक्ति की भावना को जगाएगी और सेना को ताजा ऊर्जा और नए कौशल प्रदान करेगी।
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सैन्य सेवा पर बहस शुरू
बता दें कि, जर्मनी ने 2011 में अनिवार्य सैन्य सेवा को स्थगित कर दिया था, लेकिन हालिया वर्षों में सेना में भर्ती का लक्ष्य लगातार पूरा नहीं हो पा रहा है। रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद से यूरोप की सामरिक स्थिति गंभीर हो गई है। नाटो में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जर्मनी को अपनी रक्षा क्षमता में सुधार लाना आवश्यक हो गया है।
पिस्टोरियस ने यह भी कहा कि सरकार न केवल नए रंगरूट्स की भर्ती पर ध्यान दे रही है, बल्कि रिजर्व फोर्स को भी फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “हमें एक मजबूत रिजर्व नेटवर्क की जरूरत है जो किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत तैनात किया जा सके।”
अनिवार्य सैन्य सेवा की बहाली को लेकर समाज में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ वर्गों का मानना है कि इससे युवा अनुशासन और नागरिक जिम्मेदारी सीखेंगे, जबकि कुछ इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप मानते हैं। विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि सरकार को पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वॉलंटियर स्कीम युवाओं के लिए आकर्षक और लाभकारी हो, फिर अनिवार्य सेवा जैसे कठोर विकल्प पर विचार किया जाए।
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