नई दिल्ली- आयरन ओर पैलेट के अवैध निर्यात के मामले में कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों ने अवैध ढंग से बड़े पैमाने पर आयरन ओर पैलेट का निर्यात किया है, जबकि निर्यात की अनुमति केवल केंद्र सरकार की संस्था केआईओसीएल के पास है. खेड़ा ने कहा कि साल 2014 के बाद से अब तक चालीस हजार करोड़ रूपए का पैलेट निजी कंपनियों ने निर्यात कर दिया, इससे करीब 12 हजार करोड़ रूपए के निर्यात शुल्क की चोरी की गई. उन्होंने कहा कि विदेशी व्यापार(विकास और विनियमन) अधिनियम 1992 के प्रावधानों के तहत इन कंपनियों से 2 लाख करोड़ रूपए का जुर्माना किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा पढ़ी जानी वाली वेबसाइट लल्लूराम डाट काम ने निजी कंपनियों द्वारा अवैध ढंग से आयरन ओर पैलेट का निर्यात किए जाने का मुद्दा उठाया था. वेबसाइट ने 24 सितंबर 2020 को अपनी एक रिपोर्ट में यह बताया था कि मुनाफा कमाने की होड़ में निजी क्षेत्र की कंपनियां आयरन ओर पैलेट का अवैध ढंग से निर्यात कर रही हैं.

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि खनन क्षेत्र से जुड़ा यह एक बड़ा घोटाला है. साल 2014 से पहले आयरन ओर के निर्यात की अनुमति केवल एनएमटीसी को ही थी. 89 फीसदी सरकारी हिस्सेदारी वाली यह सरकारी कंपनी जो आयरन ओर निर्यात करती थी, उसमें 64 फीसदी एफई होता था. इस पर 30 फीसदी निर्यात शुल्क लगता था. ऐसा इसलिए किया गया था कि अच्छी क्वालिटी का आयरन ओर देश में ही रहे. देश में चलने वाले स्टील प्लांट के उपयोग में आए. यह एक स्पष्ट नीति थी. सत्ता में अलग-अलग पार्टी की सरकारें रही, सभी ने इसी नीति को अमल में लाया, लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद दो महीने के भीतर कुछ चुनिंदा लोगों को उपकृत करने के लिए नियम बदल दिए गए. पहले स्टील मंत्रालय ने 64 फीसदी एफई का नियम बदला. बाद में आय़रन ओर पैलेट के निर्यात के लिए केआईओसीएल को अनुमति दी. चीन, ताइवान, दक्षिण कोरिया और जापान में आयरन ओर पैलेट के निर्यात के लिए यह अनुमति दी गई. मंत्रालय ने नीति में एक अहम परिवर्तन करते हुए यह घोषणा की कि आयरन ओर में 30 फीसदी निर्यात शुल्क जारी रहेगा, लेकिन शुल्क आयरन ओर पैलेट के निर्यात में लागू नहीं होगा.

पवन खेड़ा ने कहा कि आयरन ओर पैलेट के निर्यात की अनुमति सिर्फ केआईओसीएल को ही थी, लेकिन 2014 के बाद से आज तक कई निजी कंपनियों ने अवैध ढंग से जमकर निर्यात किया है. अनुमान है कि साल 2014 के बाद से अब तक करीब चालीस हजार करोड़ रूपए का पैलेट निजी कंपनियो ने निर्यात किया, जबकि इनके पास इसकी अनुमति ही नहीं थी. निजी क्षेत्र की ऐसी कंपनियां जिन्हें अपने उपयोग के लिए खनन लीज दी गई थी, उन कंपनियों ने भी स्टील मंत्रालय और केंद्र सरकार की नाक के नीचे आयरन ओर पैलेट का निर्यात जारी रखा. खेड़ा ने कहा कि ऐसा करने से न केवल देश की अच्छी क्वालिटी का अय़स्क लुटाया, बल्कि 12 हजार करोड़ रूपए का निर्यात शुल्क भी चोरी हुआ. उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 में कानून मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि पैलेट के निर्यात की अनुमति सिर्फ केआईओसीएल को ही है, इसके अलावा जितनी भी निजी कंपनी इसका निर्यात कर रही हैं, वह गैर कानूनी है.

कांग्रेस ने पूछे पांच सवाल

इधर प्रेस कांफ्रेंस के जरिए कांग्रेस ने मोदी सरकार से पांच अहम सवाल पूछे हैं. प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पूछा है कि हम मोदी सरकार से यह जानना चाहते हैं कि आयरन ओर पैलेट के निर्यात की अनुमति निजी कंपनियों को क्यों और किसके दबाव में दी गई? वह कौन-कौन सी कंपनी है, जिन्होंने 2014 से अब तक बगैर अनुमति निर्यात किया है, उन कंपनियों का नाम सार्वजनिक किया जाए? सरकार की किसी भी एजेंसी ने इस मामले की जांच क्यों नहीं की? केंद्र ने किसी मंत्री या किसी अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्रवाई की है? और देश के प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट की जिम्मेदारी क्या मोदी सरकार लेगी या किसी पर डालेगी?

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