रायपुर। राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार लेखराम साहू ने भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय का नामांकन रद्द करने को लेकर विधानसभा सचिवालय में आपत्ति लगाई है. साथ ही इसकी प्रति निर्वाचन अधिकारी, राज्यसभा निर्वाचन, छत्तीसगढ़ और विधानसभा भवन, रायपुर को भी दिया है.
लेखराम साहू ने कहा है कि भाजपा की ओर से राज्यसभा की प्रत्याशी सरोज पांडे की ओर से चार सेट में नामांकन दाखिल किया गया है. इसमें पहले सेट में रूपकुमारी चौधरी, दूसरे सेट में अंबेश जांगड़े, शिवशंकर पैकरा, सुनीति राठिया, सत्यानंद राठिया, वहीं तीसरे सेट में लखन देवांगन, राजूसिंह क्षत्री, तोखन साहू और चौथे सेट में गोवर्धन सिंह मांझी प्रस्तावक हैं. लेखराम साहू का कहना है कि इन प्रस्तावकों की सदस्यता संदिग्ध है और हाईकोर्ट में फैसला लंबित है.
उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि उच्च न्यायालय के लंबित फैसले को ध्यान में रखते हुए सरोज पांडेय का नामांकन निरस्त किया जाए.
लेखराम साहू का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार में इस समय 11 विधायक संसदीय सचिव के रूप में कार्यरत हैं. इन विधायकों में अंबेश जांगड़े, लाभचंद बाफना, लखन देवांगन, मोतीराम चंद्रवंशी, शिवशंकर पैकरा, तोखन साहू, गोवर्धन सिंह मांझी, राजूसिंह क्षत्री, रूपकुमारी चौधरी, सुनीति सत्यानंद राठिया और चंपादेवी पावले शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इनकी सदस्यता संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं अंतिम सुनवाई के बाद फैसले के लिए सुरक्षित हैं.
लेखराम का कहना है कि इन याचिकाओं में उच्च न्यायालय से कहा गया है कि चूंकि संसदीय सचिव का पद लाभ का पद है, इसलिए संविधान के अनुसार इन सदस्यों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए.
अगस्त 2017 को दिए गए अपने अंतरिम फ़ैसले में हाईकोर्ट ने प्रथमदृष्टया माना है कि संसदीय सचिवों का पद लाभ का पद है और उन्हें कार्य से अलग किया जाए. गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा के संसदीय सचिवों की सदस्यता मुख्य निर्वाचन आयोग दिल्ली ने लाभ के पद पर पदस्थ होने के आधार पर निरस्त कर दी है.