शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में बड़ी हार का सामना कर चुकी कांग्रेस के सामने अब भी चुनौतियां कम नहीं है। एक तो आगामी लोकसभा तो दूसरी ओर विधानसभा में प्रबल नेता प्रतिपक्ष के लिए चेहरे का चुनाव। लिहाजा नेता प्रतिपक्ष पद के लिए कई दिग्गजों के नाम पर सुगबुगाहट के साथ चर्चाओं का दौर भी शुरू हो गया है। इन नामों में साथ भी नए समीकरण भी बने हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में पहला नाम कमलनाथ का है।

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उधर, सियासी गलियारों में संगठन के गणित को बिठाने के लिए दूसरा फार्मूला अपनाया जा सकता है। इसके अलावा पहले भी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में रहे अजय सिंह के नाम पर चर्चाओं का जोर है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि आदिवासी चेहरे के रूप में अनुभवी विधायक और पूर्व मंत्री उमंग सिंगार को जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। चंबल से पूर्व मंत्री, सीनियर लीडर और ओबीसी चेहरा रामनिवास रावत का भी नाम चर्चा में है। इनके साथ कमलनाथ सरकार में गृह मंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले बाला बच्चन का नाम भी गलियारों में है। 

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कांग्रेस का एक वर्ग अंदरूनी तौर पर युवा नेता को जिम्मेदारी देने के लिए दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के नाम को पॉलिटिकल मार्केट में चला रहा है। मामले पर कांग्रेस का कहना है कि विधायक दल की बैठक के बाद ही यह साफ होगा कि आखिर सीनियर या जूनियर को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। लेकिन नेता प्रतिपक्ष की माथापच्ची से बीजेपी को निशाना साधने का मौका जरूर मिला। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस में 1980 के दशक के नेता पद की हवस का मोह नहीं त्याग पा रहे हैं। जबकि अब तक दिग्विजय सिंह समेत कमलनाथ को राजनीतिक संन्यास ले लेना चाहिए था। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस में नेतृत्व संकट हमेशा से रहा है। लेकिन मध्यप्रदेश में यह संकट अब और गहरा होगा। बीजेपी ने यह भी कहा कि संविधान में मजबूत लोकतंत्र के लिए मजबूत विपक्ष की भूमिका है। जो कांग्रेस अब निभा नहीं पाएगी।

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