रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विषणुदेव साय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भाजपा के पूर्वजों को अंग्रेजों का मुख़बिर बताने पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बघेल अपने झूठे और मर्यादाहीन बयानों के चलते अपनी राजनीतिक गंभीरता और साख खोते जा रहे हैं. साय ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान और चीन की भाषा बोल कांग्रेस के नेताओं को हर राजनीतिक दल ठीक उसी तरह मुख़बिर नज़र आ रहा है, जैसे पीलिया के मरीज़ को सबकुछ पीला-पीला नज़र आता है. उन्होंने कहा कि चीन की भाषा बोलने वाले कांग्रेस के नेताओं को बताना चाहिए कि चीन का आयात शुल्क कम कर राजीव गांधी फाउंडेशन को कैसे लाभ पहुंचाया गया और कैसे झोली भारी गयी.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर भाजपा पर अंग्रेजों की मुखबिरी का आरोप लगाकर वैचारिक दारिद्र्य का प्रदर्शन कर रहे मुख्यमंत्री बघेल अब वामपंथी-स्क्रिप्ट पढ़ने वाले नेता ही रह गए हैं, जिन्हें मोहरा बनाकर उनके वामपंथी अपना झूठ फैलाने के एजेंडे पर काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री बघेल कोरी सियासी लफ़्फ़ाजियाँ करने से पहले ज़रा इतिहास का अच्छी तरह अध्ययन कर लें तो उनकी जगहँसाई नहीं होगी. अंग्रेजों के शासनकाल में न तो जनसंघ का अस्तित्व था और न ही भाजपा का. कांग्रेस के पूर्वजों की सत्ता-लोलुपता ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन कराया और उनके पाकिस्तान मोह ने कश्मीर के मुद्दे को जब उलझाया तब जनसंघ ने जन्म लेकर देश में राष्ट्रीय चेतना के जागरण का शंखनाद कर भारतीय राजनीति को सही दिशा दी और आज भाजपा ने न केवल पाकिस्तान को, अपितु चीन को भी घुटनों पर ला दिया है.

कांग्रेस के पूर्वजों ने ही चीन के सामने घुटनों पर आकर देश की लगभग 44 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन का कब्ज़ा मंजूर किया था और अब उनके वंशज पाकिस्तान और चीन के साथ खड़े होकर भारतीय सेना का मनोबल तोड़ने और देश में झूठ का रायता फैलाने में लगे हैं और उनके चापलूस उस रायते की गंदगी फैलाने में लगे हैं. साय ने कहा कि भाजपा के पूर्वजों ने देशभक्ति का जो आदर्श प्रस्तुत किया है, उसकी प्रामाणिकता इसी बात से सिद्ध हो जाती है कि कभी लोकसभा में 400 सीटों वाली कांग्रेस पिछले दो चुनाव में अपने नेता प्रतिपक्ष तक के ओहदे की हैसियत नहीं जुटा सकी है. मुख्यमंत्री बघेल को नसीहत दी कि वे तथ्यों के साथ खिलवाड़ करने को अपना राजनीतिक कौशल समझने की भूल न करें. मरवाही विधानसभा उपचुनाव के नतीजे भी इसी संदेश को व्यक्त करने जा रहे हैं.