शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल ने बड़ा फैसला लेते हुए वेतन नहीं लेने का फैसला किया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा सदन में इसकी घोषणा की है।  सिंघार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों में कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। इस पर सभी कांग्रेस विधायकों ने एकमत होकर यह निर्णय लिया है कि वे अपनी तनख्वाह नहीं लेंगे। इस संबंध में एक पत्र आज विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष सदन में रखा जाएगा। 

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नेता प्रतिपक्ष ने अध्यक्ष से आग्रह किया है कि कांग्रेस विधायकों की तनख्वाह का उपयोग उनके क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए किया जाए। सिंघार ने कहा कि सरकार कांग्रेस विधायकों के साथ भेदभाव कर रही है। इसलिए वे अपने वेतन से अपने क्षेत्र का विकास करने का फैसला लिया है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को सभी विधायकों ने हस्ताक्षर के साथ एक चिट्ठी भी सौंपी है। 

जानें क्या कहा नेता प्रतिपक्ष ने 

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि सरकार कह रही है हमारे पास पैसा नहीं है, तो हमने इसलिए सैलरी वापस करने का फैसला किया है। हमारी जो सैलरी है, उससे हमारे क्षेत्र में विकास करवा दें। सरकार ने कहा था पांच-पांच करोड़ रुपए दिए जाएंगे, लेकिन अब तक क्षेत्र में विकास करने के लिए कुछ नहीं दिया। विपक्षी विधायकों के साथ यह भेदभाव किया जा रहा है। जबकि सत्ता पक्ष के विधायकों को 15-15 करोड़ रुपए दिए गए विकास के लिए। इसलिए हम सभी विधायकों ने फैसला लिया है कि अब हम विधानसभा से मिलने वाली सैलरी को नहीं लेंगे।

सैलरी नहीं ले रहे तो कोई एहसान नहीं कर रहे- संजय पाठक  

भाजपा के पूर्व मंत्री संजय पाठक ने कहा कांग्रेस ने लंबे समय तक प्रदेश और देश पर राज किया है। तब उन्होंने अपने क्षेत्र का कितना  विकास किया यह वह बताएं। वैसे भी लंबे समय तक सरकार में रहे इन सब के पेट भरे हैं। इन्हें सैलरी की कोई जरूरत नहीं है।अगर वह सैलरी नहीं ले रहे हैं तो कोई एहसान नहीं कर रहे हैं। देश को लूटने में कांग्रेस का हाथ रहा है। 

कांग्रेस विधायकों की विधानसभा क्षेत्र में भेदभाव के आरोपों पर कहा स्वाभाविक सी बात है, जिस क्षेत्र की जनता ने हमें सरकार बनाने का मौका दिया वहां के लिए थोड़ा ज्यादा ही सोचा जाता है। कांग्रेसी विधायकों को भी मिलेगा, थोड़ा सब्र करें।लेकिन वह यह भी बताएं कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार में किस तरीके से विपक्ष के विधायकों को प्रताड़ित किया गया था। 

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