नई दिल्ली। हिंदुत्व का मुद्दा उठाने के बाद कांग्रेस आगामी पांच राज्यों के चुनाव में अब ‘राष्ट्रवाद’ पर जोर देगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी के नेतृत्व में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर काम शुरू किया गया है। राजनीतिक जानकारों का अनुसार आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी ने अब ‘हिंदुत्व’ और ‘राष्ट्रवाद’ के मुद्दों को उठाकर एक अलग राजनीतिक राह चुनी है, खासतौर पर ऐसे समय में जब कांग्रेस पार्टी अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। देश की सबसे पुरानी पार्टी ने अपना ध्यान हिंदुत्व और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर केंद्रित करना शुरू कर दिया है। मुख्यतौर पर चुनावी राज्यों उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, गुजरात, और उत्तर-प्रदेश में इस रणनीति के तहत काम किया जायेगा।

गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे। इसके बाद गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष उत्तराखंड के दौरे पर हैं।

उल्लेखनीय है कि बीजेपी के राष्ट्रवाद का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले साल बांग्लादेश 1971 मुक्ति संग्राम समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कर रहे हैं। यह समिति फिलहाल देशभर में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर पार्टी की गतिविधियों की योजना बना रही है और समन्वय कर रही है।

उन्होंने इस सिलसिले में राहुल गांधी द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रवाद के मुद्दे को उठाने की योजना बनाई। वहीं इस संबंध में बुधवार को एके एंटनी ने तत्कालीन विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में उल्लेख करते हुए कहा, उन्होंने इंदिरा को ‘दुर्गा’ बताकर प्रशंसा की थी, कई अन्य विपक्षी नेताओं ने उन्हें ‘शक्ति’ के रूप में सम्मानित किया।

हालांकि पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कई मौकों पर हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखरता से अपनी बात रख चुके हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दो शब्दों ‘हिंदू’ और ‘हिंदुत्ववादी’ के बीच टकराव है। इन दो शब्दों का मतलब एक बात नहीं है। फिलहाल कांग्रेस ने बीजेपी के राष्ट्रवाद के मुद्दे से पार पाने के लिए इस नई रणनीति पर चलने का फैसला किया है।