शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में सुनामी की तरह 166 सीट पर काबिज बीजेपी सरकार की राह आसान नहीं है। नई सरकार के मुखिया को भारी वित्तीय संकट का सामना करना होगा। इसके अलावा संकल्प पत्र में वादों को पूरा करना भी नए मुख्यमंत्री के लिए आसान नहीं होगा। दरअसल प्रदेश सरकार पर 03 लाख 31 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है। प्रदेश की व्यवस्था को सूचारू रखने के लिए 15 हजार करोड़ रुपये कर्ज की तैयारी भी वित्त विभाग ने शुरू कर दी है। उधर सरकार के चुनावी नगदी पैकेज स्कीम में शामिल लाड़ली बहना योजना के तहत भी 19 हजार 500 करोड़ रुपये का सालाना खर्च भी सरकार को उठाना है। 

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इसके अलावा 2700 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीदी, 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी, तेंदूपत्ता संग्राहकों को 4000 रुपये प्रति माह बोरा का वादा समेत सीएम राइज स्कूल, मिड डे मिल में पौष्टिक नाश्ता, वरिष्ठ एवं दिव्यांगों को 1500 रुपये प्रति माह पेंशन समेत कई वादों को हकीकत में बदलने के लिए हजारों करोड़ रुपये के अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी। वित्तीय भार में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में बढ़ोतरी पर 420 करोड़, किसान सम्मान निधि में 5220 करोड़, गैस सिलेंडर सब्सिडी में 280 करोड़ रुपये का आर्थिक भार भी सरकार के सामने चुनौती से कम नहीं है। 

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मामले पर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते दो दशकों से बीजेपी सरकार ने प्रदेश को कर्जदार बनाया। आगामी समय में प्रदेश का हर नागरिक दोगुना कर्जदार होगा। मतलब हर प्रदेशवासी पर एक लाख रुपये का कर्ज होगा। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा का आरोप है कि बीजेपी की धांधली और 50 फीसदी कमीशनखोरी के कारण ही प्रदेश में कर्ज पर कर्ज सरकार ले रही है। इसका खामियाजा भी बड़े वित्तीय संकट के रूप में सामने आएगा। 

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उधर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि 2003 में 33000 करोड़ बजट था और कर्ज था बजट का 31 फीसदी। वहीं आज बजट कई गुना बढ़ चुका है और कर्ज है 26 परसेंट का है। बजट का साइज बड़ा है तो कर्ज का साइज छोटा है। बीजेपी ने कहा कि प्रदेश में कमलनाथ की भ्रष्टाचारी सरकार नहीं है। जो खजाना खाली की बात करते थे और जनहितेषी योजनाओं को बंद करते थे। बीजेपी का दावा है कि इसी खजाने से बीजेपी सरकार ने पहले विकास का चमत्कार किया और आगे भी करेंगे। 

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