लखनऊ. 1975 में जिस दिन आपातकाल लगाया गया था उसे केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाए जाने का फैसला लिया है. विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के इस कदम की आलोचना की है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फैसले पर तंज कसा है. उन्होंने भाजपा से अन्य दिवस को लेकर 15 सवाल किए हैं.
अखिलेश यादव ने कहा कि 30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ और ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए, क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी. सपा प्रमुख ने पोस्ट में सवाल करते हुए कहा भाजपा बताए कि मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस, हाथरस की बेटी हत्या दिवस, लखीमपुर में किसान हत्या दिवस, कानपुर देहात में मां-बेटी हत्या दिवस, तीन काले कानूनों से कृषि हत्या दिवस को मनाने के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए.
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अखिलेश यादव ने कहा कि पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस, अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस, बेरोजगारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस, बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस, नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस पर सवाल किया.
अखिलेश यादव ने कहा, यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस, जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस, सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस, पुरानी पेंशन के हत्या दिवस, संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस जैसे भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि का चयन किया जाए ?
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