कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। शहर के रूद्राक्ष हॉस्पिटल को तीन लाख मुआवजा देने का आदेश उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने दिया है। इलाज में लापरवाही से हुई गर्भस्थ शिशु की मौत और प्रसूता के गर्भाशय को मजबूरन निकाले जाने के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने यह बड़ा आदेश सुनाया है।

महिला की पहले सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी थी

दरअसल परिवादी महिला ने आरोप लगाया था कि वह गर्भावस्था के दौरान नियमित उपचार के बाद 20 नवंबर 2021 की रात को प्रसव पीड़ा होने पर मुरार स्थित रूद्राक्ष हॉस्पिटल में भर्ती हुई थी। उस समय अस्पताल में कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं थी, ऐसे हालात में भी नर्सो ने बिना डॉक्टर की निगरानी में नॉर्मल डिलीवरी की कोशिश की, जबकि महिला की पहले सिजेरियन डिलीवरी हो चुकी थी।

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गर्भ में मौजूद शिशु की मौत

ऐसे में नर्सो ने पेट पर जबरन दबाव डालकर डिलीवरी करने की कोशिश की,जिससे पुराने टांके खुल गए और गर्भाशय बाहर आ गया। महिला की स्थिति बिगड़ने पर उसे अलग अलग अस्पतालों में रेफर किया। इस दौरान बड़ी मुश्किल से एक प्राइवेट हॉस्पिटल में सर्जरी कर गर्भाशाय निकलना पड़ा, जिससे उसका जीवन तो बच गया लेकिन गर्भ में मौजूद शिशु की मौत हो गई।

आयोग गंभीर चिकित्सीय लापरवाही माना

आयोग ने सुनवाई के बाद टिप्पणी करते हुए कहा कि” स्त्री रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति में अनट्रेंड नर्सों द्वारा प्रसव कराने का प्रयास गंभीर चिकित्सीय लापरवाही है, इससे न केवल महिला को स्थाई क्षति पहुंची बल्कि गर्भ में शिशु की मौत भी हुई। आयोग ने रुद्राक्ष मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल मुरार और संचालक संजीव शर्मा को दोषी पाया। उन पर 03 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति को 6% वार्षिक ब्याज के साथ 45 दिनों में भुगतान का आदेश दिया है। महिला को मानसिक पीड़ा के लिए अतिरिक्त ₹5 हजार और न्यायालयीन खर्च के लिए 01 हजार देने के निर्देश दिए हैं। जानकारी धर्मेंद्र शर्मा- शासकीय अधिवक्ता ने दी।

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पंजीयन निरस्त होने पर नाम बदलकर संचालन

बता दें कि ग्वालियर सीएमएचओ की जांच समिति ने पहले ही रूद्राक्ष हॉस्पिटल की लापरवाही की पुष्टि की थी और उसका पंजीयन निरस्त करने की अनुशंसा की थी। इसके बाद अस्पताल ने नाम बदलकर अष्ट विनायक मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में संचालन शुरू कर दिया था।

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