रायपुर. चुनाव का दौर है फिर घोषणाएं होंगी और सरकार बनेंगी. इसी बीच एक संविदा कर्मचारी का त्यागपत्र वायरल हो रहा है, जिसने कांग्रेस के 2018 के जनघोषणापत्र और प्रशासनिक तंत्र की कलई खोल कर रख दी है. 11 साल से रायपुर जिला पंचायत में मनरेगा में संविदा में नियुक्ति सहायक ग्रेड-3 संतोष कुमार देवांगन ने जिला पंचायत सीईओ के नाम से त्यागपत्र दे दिया है. 7 पेज के इस त्यागपत्र में कर्मचारी ने अपने द्वारा संपादित किए गए कार्य एवं प्रशासनिक तंत्र से आहत की स्थिति बयां करते हुए कांग्रेस सरकार के नियायमितिकरण नहीं किए जाने से नाराज होकर यह बड़ा कदम उठाया है. यह त्यागपत्र तेजी से सोसल मीडिया में वायरल हो रहा है.

प्रदेश में लगभग 45000 कर्मचारी संविदा में कार्यरत हैं. जो विगत वर्षों से लागतार अपनी मांगों और कांग्रेस के घोषणा पत्र के वादे को पूरा कराने आवेदन और प्रदर्शन किए, लेकिन इनका नियमितिकरण नहीं किया गया है. जिससे कर्मचारी में काफी निराशा और सरकार के खिलाफ आक्रोश दिखाई दे रहा है.


काम के बोझ और प्रशासनिक तंत्र से आहत था कर्मचारी

शासन के आदेश और निर्वाचन आयोग के आदेश का नहीं होता जिला स्तर पर पालन समय-समय पर शासन स्तर व राज्य कार्यालय से संविदा कर्मचारी से अन्य कार्य नहीं लिए जाने के निर्देश दिए जाते है, लेकिन त्यागपत्र में संतोष की स्थिति का स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि 11 साल से मनरेगा में नियुक्ति के बावजूद उनसे शिक्षा शाखा, निर्वाचन, भण्डार शाखा, न्यायलीन कार्य जैसे महत्वपूर्ण कार्य लिए जा रहे थे. जिनका उन्हें अलग से कोई भुगतान भी नहीं होता था. प्रशासन में यह सभी महत्वपूर्ण कार्य होते हैं. इसी प्रकार माह भर पूर्व गरियाबंद के रोजगार सहायकों ने मनरेगा के अलावा अन्य कार्य नहीं करने संबंधी भी जिला स्तर पर पत्राचार किया है.

निर्वाचन में भी लगी ड्यूटी

अभी 2 दिन पहले ही छत्तीसगढ़ मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सभी जिले के कलेक्टर और एसपी की बैठक लेकर संविदा कर्मचारियों से निर्वाचन कार्य नहीं लेने कड़ाई से निर्देश दिए है, लेकिन जिलों में इसकी स्थिति उलट प्रतीत होती है. संतोष ने अपने त्यागपत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि, विधानसभा, लोकसभा , नगरीय निकाय तथा पंचायत चुनाव में भी वो अपनी सेवाएं दिए हैं. वर्तमान होने वाले विधानसभा में भी बड़ी संख्या में संविदा कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाए जाने की संभावनाएं से नकारा नहीं जा सकता.

प्रदेश में संविदाकर्मी की स्थिति
संतोष ने यह स्पष्ट किया है कि उनके द्वारा सारे कार्य गंभीरता, जिम्मेदारी, सक्रियता और सनिष्ठापूर्वक किए जाने के बावजूद 11सालों में किसी भी प्रकार का गैर वित्तीय सम्मान (प्रशस्ति पत्र) के लायक भी नहीं समझा गया, जिससे वे मानसिक रूप से आहत हुए हैं.

कुछ दिनों पूर्व जिला पंचायत दंतेवाड़ा सीईओ द्वारा संविदा कर्मी को स्वतंत्रता दिवस पर सम्मान में शामिल नहीं किए जाने का पत्र भी वायरल हुआ था, हालांकि बाद में इसे संशोधित कर दिया गया. यह घटनाक्रम प्रशासन में संविदाकर्मियों की मानसिक स्थिति को दर्शाता है.

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