रोहित कश्यप, मुंगेली. जिले के खम्हरिया से तरईगांव तक 2.7 किमी सड़क निर्माण में विभागीय आदेशों और मानकों को दरकिनार कर ठेकेदार मनमानी कर रहा. इससे लोक निर्माण विभाग (PWD) की कार्यशैली पर सवाल उठने लगी है.
2.33 करोड़ की लागत से बन रही इस सड़क का ठेका शशांक मिश्रा को मिला है. निर्माण की समय-सीमा 30 अप्रैल को ही समाप्त हो चुकी है. 15 दिन का अतिरिक्त समय भी बीत चुका, मगर निर्माण अधूरा है. हैरानी की बात ये है कि विभाग ने 15 जून से बारिश के कारण डामरीकरण पर प्रतिबंध लगाया है. इसके बावजूद विभागीय एसडीओ मनोज जैन की मौजूदगी में सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है.


कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा – घटिया मटेरियल का हो रहा उपयोग
यूथ कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेश छेदैय्या ने निर्माण स्थल का निरीक्षण करते हुए दावा किया कि सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है. गिट्टी में मुरुम मिलाकर घटिया मटेरियल का उपयोग हो रहा है, जिसे पेट्रोल से धोने पर मुरुमयुक्त गिट्टी का घटिया खेल उजागर हो रहा. उन्होंने कहा, बारिश में डामरीकरण की वजह से सड़क की पकड़ कमजोर है, और ये भविष्य में दो महीनों में ही उखड़ने वाली है. ऐसे में 5 साल की गारंटी का हवाला देकर जनता को गुमराह करना और बाद में मरम्मत के नाम पर दोबारा कमाई का रास्ता खोलना एक सोची समझी रणनीति नजर आती है. कांग्रेस ने इस मामले को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है.
साइड इंजीनियर का अजीब तर्क
इस मामले में निर्माण कार्य के साइड इंजीनियर महेश सिंह का तर्क और भी अजीब है. उनका कहना है कि “ग्रामीणों के कहने पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, लेकिन वहीं ग्रामीण घटिया निर्माण का विरोध कर रहे हैं. सवाल यह भी है क्या अब सरकारी काम ग्रामीणों के कहने पर और विभागीय प्रतिबंधों की अनदेखी कर किया जाएगा?
विभाग ने लगाई रोक, फिर भी काम जारी क्यों?
मंत्री अरुण साव ने कहा, बारिश में डामरीकरण पर प्रतिबंध लगाया गया है. मामले की जांच कराएंगे. इधर इस पूरे मामले पर लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता एसके सतपथी ने कहा कि 15 जून से विभागीय स्तर पर डामरीकरण कार्य पर रोक है. फिर भी निर्माण हो रहा है तो यह पूरी तरह ठेकेदार की जिम्मेदारी है. बिना परमिशन कार्य करने पर कार्रवाई होगी. वहीं लोक निर्माण मंत्री और राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव स्वयं मुंगेली जिले से हैं, उन्होंने भी माना कि बरसात में डामरीकरण की अनुमति नहीं है. अगर नियमों का उल्लंघन हुआ है तो जांच होगी. अब सवाल उठ रहा है कि अगर विभाग और मंत्री खुद प्रतिबंध को मान रहे हैं तो फिर जमीनी स्तर पर ये निर्माण किसके इशारे पर चल रहा है?
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