संभल. अयोध्या, मथुरा के बाद अब संभल की शाही जामा मस्जिद जिसे बाबरी मस्जिद भी कहा जाता है, उस पर हिंदू पक्ष दावा कर रहा है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये मस्जिद नहीं हरिहर मंदिर है. हालांकि फिलहाल ये मामला अदालत में है. लेकिन इसे लेकर सियासत तेज हो गई है. दूसरी तरफ मस्जिद की 1879 की एक एएसआई (ASI) रिपोर्ट के खुलासे से मस्जिद को लेकर नई बातें सामने आई हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सर्वेक्षण रिपोर्ट पेज 25 और 26 में ASI ने अपने सर्वेक्षण में पाया था कि मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभे पुराने हिंदू मंदिर के हैं. इन स्तंभों पर प्लास्टर किया गया है. ASI का तर्क है कि सर्वेक्षण के दौरान ASI के अधिकारी ने पाया कि मस्जिद के एक खंभे से प्लास्टर उखड़ा हुआ है. सर्वे करने पर पता चला कि इसके पीछे लाल रंग का खंभा है. ASI का दावा ये भी है कि मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने करवाया था.

शिलालेख में बाबर के दरबारी का उल्लेख

मस्जिद की जगह हिन्दू मन्दिर को तोड़ कर बनाया जाने पर ASI का सबसे बड़ा तर्क मस्जिद का शिलालेख था. जिसका उल्लेख करते हुए ASI ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि मस्जिद में मौजूद शिलालेख जिस पर दर्ज है कि हिंदू मंदिर से इसे मस्जिद में परिवर्तित करने वाले व्यक्ति का नाम मीर हिंदू बेग है जो कि बाबर का दरबारी था. हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में बाबरनामा, आइन–ए–अकबरी किताब और ASI की सर्वे रिपोर्ट को कोट किया है. याचिका में कहा गया है कि बाबरनामा में लिखा है– ‘बाबर के आदेश पर 933 हिजरी में हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया गया था’. आइन–ए–अकबरी में लिखा है– ‘संभल में विष्णु का मंदिर है. ये एक प्राचीन स्थान है, जो शेख फरीद–ए–शकर गंज के उत्तराधिकारी जमाल का विश्राम स्थल है’. ASI की रिपोर्ट 1874–76 के सर्वेक्षण की है. इसमें सतयुग से कलयुग तक संभल का इतिहास बताया गया है. संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर सर्वे का आदेश दे दिया है. मस्जिद का सर्वे शुरू हो गया है. कोर्ट में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.

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मुस्लिम पक्ष का इंकार

दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष के हिंदू पक्ष के दावे को नाकर दिया है. संभल जामा मस्जिद के अध्यक्ष मोहम्मद जफर का दावा है कि मस्जिद किसी भी मंदिर को तोड़ कर नहीं बनी और मस्जिद के हिन्दू मंदिर के कोई निशान नहीं है. उन्होंने जामा मस्जिद के कोर्ट कमिश्नर सर्वे के आदेश पर हैरानी की. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है एक ही दिन में कोर्ट के मामला आया, उसी दिन सुनवाई हुई और याचिका स्वीकार होकर कोर्ट कमिश्नर सर्वे का आदेश होता है और उसी रात सर्वे शुरू भी कर दिया. बता दें कि मस्जिद में कोर्ट कमिश्नर सर्वे का पहला चरण मंगलवार को हुआ था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आने वाले दिन में अभी फिर से सर्वे टीम मस्जिद में जाकर सर्वे का काम पूरा करेगी और कोर्ट को 29 नवंबर को रिपोर्ट सौंप सकती है.

यति नरसिंहानंद का बयान

वहीं इस पर यति नरसिंहानंद सरस्वती का कहना है कि ‘सम्भल के हरि हर मंदिर के अदालती आदेश पर सर्वे को लेकर जमीयते उलमा ए हिन्द के अध्यक्ष महमूद मदनी ने हिन्दुओ को धमकी दी है. सुन लें मौलाना गड़े मुर्दे उखाड़ने से सच्चाई का पता चलेगा.’ उन्होंने कहा कि अगर अरब की मस्जिदों, मक्का की मस्जिदों का भी सर्वे हो जाए तो उनके नीचे भी कोई ना कोई मंदिर, मठ, पूजा स्थल निकलने वाला है.

संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट और सरकार- मायावती

मायावती ने इस मामले पर चिंता व्यक्ति की. उन्होंने कहा कि ‘संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को लेकर अचानक विवाद, सुनवाई और फिर उसके फौरन ही बाद आपाधापी में सर्वे की खबरें राष्ट्रीय चर्चा और मीडिया की सुर्खियों में है. किन्तु इस प्रकार से सदभाव और माहौल को बिगाड़ने का संज्ञान सरकार तथा मा. सुप्रीम कोर्ट को भी जरूर लेना चाहिए.’