नई दिल्ली. कोरोना मरीजों के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दो दवाओं के इस्तेमाल की सिफारिश की है. ये दवाएं मरीजों की हालत गंभीर होने पर दी जा सकेंगी. इससे न केवल मरीजों को आराम मिलेगा बल्कि यह कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में भी कमी आएगी.
WHO ने एली लिली और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन एवं वीर बायोटेक्नोलॉजी के दवाओं का इस्तेमाल किए जाने की सिफारिश की है. डब्ल्यूएचओ ने कॉर्टिकोस्टेरॉइड के संयोजन से ओलुमिएंट ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले लिली के बारिसिटिनिब का इस्तेमाल गंभीर मरीजों के लिए सुझाया है. इसके अलावा, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन एवं वीर बायोटेक्नोलॉजी के एंटीबॉडी थेरेपी को उन मरीजों के लिये उपयोगी बताया गया है, जिनकी हालत गंभीर नहीं है. हालांकि से कोरोना के मरीज और उनके परिजनों से अपील है कि वे डॉक्टरों की सिफारिश के बिना कोई भी दवा का सेवन न करें.
ये सिफारिश की गईं
- दो गठिया दवाओं बारिसिटिनिब और इंटरल्यूकिन-6 का उपयोग कर सकेंगे
- कोरोना वायरस के इलाज में ये दोनों दवाएं वेंटीलेटर पर जाने से बचाती हैं -डॉक्टर इलाज में उपलब्ध दोनों में से किसी एक दवा का उपयोग कर सकेंगे
- एक ही समय में दोनों दवाओं का उपयोग करने की सलाह नहीं दी जाएगी
ये बूस्टर डोज 85 प्रतिशत तक प्रभावी
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन की बूस्टर खुराक को ओमीक्रोन स्वरूप से अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में 85 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है. दक्षिण अफ्रीकी शोध परिषद की प्रमुख ने शुक्रवार को यह दावा किया. ग्लेंडा ग्रे ने एक शोध के निष्कर्ष में पाया कि दक्षिण अफ्रीका में चौथी लहर के लिए जिम्मेदार ओमीक्रोन पर के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता 85 देखी गई.