रायपुर. ओमीक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच देश में पाबंदियों का दौर फिर से शुरू होने वाला है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने गुरुवार को राज्यों के साथ बैठक में कहा कि यदि कहीं संक्रमण दर 10 फीसदी से ज्यादा या ऑक्सीजन बेड पर भर्ती होने का प्रतिशत 40 फीसदी से अधिक है तो स्थानीय प्रशासन वहां तत्काल रोकथाम के उपाय लागू करे. ऐसे मामलों में रात्रि कर्फ्यू, भीड़भाड़ भरे आयोजनों पर रोक आदि शामिल है.
वहीं चौंकाने वाली बात ये भी है कि देश में कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन मूल वायरस के मुकाबले तीन गुना रफ्तार से फैल रहा है. भारत में ओमीक्रोन से संक्रमण का पहला मामला 2 दिसंबर को मिला था, लेकिन महज 19 दिन में ही इसकी चपेट में आने वालों की संख्या 200 हो गई.
इसके विपरीत मूल कोरोना वायरस से संक्रमण के 200 मामले मिलने में 60 दिन लगे थे. इस लिहाज से नए वेरिएंट ओमीक्रोन के फैलने की दर मूल वायरस के मुकाबले 318 फीसदी ज्यादा है. ओमीक्रोन ने इस दौरान जहां प्रतिदिन औसतन 10.5 लोगों को संक्रमित किया, वहीं शुरू के दो महीने के दौरान मूल वायरस से प्रतिदिन केवल 3.3 लोग संक्रमित हुए. गौरतलब है कि ओमिक्रोन का सबसे पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, इसके बाद से यह अब तक लगभग 100 देशों में फैल चुका है. यही वजह है कि भारत में इसके तेज प्रसार को देखते हुए तरह-तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं.
लेकिन ओमीक्रोन संक्रमित के भर्ती होने का खतरा कम
डेल्टा संस्करण की तुलना में कोरोना वायरस का ओमीक्रोन वेरिएंट कम खतरनाक है. ब्रिटेन में कोविड-19 के आंकड़ों पर आधारित दो नए अध्ययनों में यह बात सामने आई है. अध्ययन से पता चला है कि ओमीक्रोन से संक्रमित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा डेल्टा की अपेक्षा 60 फीसदी तक कम है.
इंपीरियल कॉलेज, लंदन के शोध में पाया गया है कि पीसीआर पुष्टि वाले ओमीक्रोन से संक्रमित मरीजों के डेल्टा संस्करण की तुलना में अस्पताल में एक रात या उससे अधिक समय बिताने की संभावना 40 से 45 प्रतिशत कम होती है. पूर्व में कोरोना की मार झेल चुके लोगों के ओमीक्रोन की चपेट में आने पर उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 50 से 60 प्रतिशत कम होती है, उन लोगों की तुलना में जो पहले संक्रमित नहीं थे.
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