रायपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ छत्तीसगढ़ प्रदेश में राजधानी रायपुर स्थित पं. ज. ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के माईक्रोबायोलाॅजी विभाग की सशक्त भूमिका प्रशंसनीय रही है. लॉकडाउन की विषम परिस्थिति के बावजूद सीमित समय में बी.एस.एल.-2 स्तरीय वायरोलॉजी लैब स्थापित की गई जिसे कोविड-19 की आर.टी.पी.सी.आर. जॉच के लिये आई.सी.एम.आर. से अधिकृत किया गया है. विगत पॉच दिनों में ही यहॉ 600 से ज्यादा सैम्पल्स की कोरोना जाँच की गई है. इस वास्ते विभाग के 20-25 कोरोना कर्मचारियों की टीम दो पालियों में रात्रि 9-10 बजे तक कार्यरत रहती है. इनमें से 8-10 लैब टेक्निशियन और असिस्टेंट को घर जाने की इजाजत नहीं होती है. उनके रहने व खान-पान की व्यवस्था की गई है. कोरोना के साथ-साथ स्वाईन फ्लू (एच1एन1) की जाँच भी की जा रही है.

    माईक्रोबायोलॉजी विभाग की एसो. प्रोफेसर डॉ. निकिता शेरवानी के सक्षम नेतृत्व में इस वायरोलॉजी लैब में कोरोना जॉच में अहम भूमिका निभाने वाली टीम में विभाग के माईक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. नीज़ा मोगा, डॉ. रूपम गहलोत, डॉ. सुचिता नेताम, वैज्ञानिक डॉ. जगन्नाथ पाल, डॉ योगिता राजपूत और लैब टेक्नालाजिस्ट शामिल हैं. सहयोगी टीम में डॉ. ईरीश ठाकुर और डॉ. रश्मिका दवे, डाटा संकलन, रिकार्ड्स, रिपोर्ट्स और आई.टी. संबंधित कार्यों में योगदान दे रहे है. 06 टेक्निशियन्स की टीम 03 पालियों में 24 घंटे कोरोना सैम्पल्स लेने और प्रदेश के दूर-दराज जिलों से लाये गये सैम्पल्स संग्रहण कार्यों में व्यस्त रहते हैं.

कोरोना जॉच के अतिरिक्त माईक्रोबायोलॉजी विभाग कोविड-19 के प्रयोगशाला संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर रहा है. लगभग प्रतिदिन प्रदेश भर के पैथॉलाजिस्ट, मेडिकल ऑफिसर्स एवं लैब टेक्निशियन्स को सीधे क्लास रूम प्रशि़क्षण या विडियों कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. इसमें मुख्यतः सैम्पल्स लेने की विधि, सावधानियां, पी.पी.ई. का इस्तेमाल, सैम्पल्स सुरक्षित तरीके से जांच केन्द्रो तक पहुचाने के सभी तकनीकी पहलूओं की जानकारी दी जा रही है. साथ ही उन्हे कोरोना जाँच की रैपिड डायग्नोस्टिक व अन्य जांच विधियों की जानकारी दी जा रही है.

कोरोना के अतिरिक्त, रायपुर शहर अभी पीलिया संक्रमण से भी जुझ रहा है. शहर के विभिन्न क्षेत्रों से इस संबंध में हिपेटाईटिस वायरल मार्कर के भी नमूनों की जाँच की जा रही है. प्रतिदिन 100 से 125 सैम्पल्स की जाॅच में हिपेटाईटिस-ई बहुतायत में मिले है. हिपेटाईटिस-ए की संख्या कम है. इन इलाकों के पीने के पानी की भी बैक्टेरियोलॉजी जाँच के लिये सैम्पल्स लिये जा रहे है, जिसमें पता चलता है कि वह पानी पीने योग्य है या नहीं. इसके अतिरिक्त नियमित रूप से होने वाले टेस्ट यथावत किये जा रहे हैं.