रायपुर। मंगलवार की दोपहर तक जहां छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3 पर आ गयी थी, रात होते-होते ये 13 हो गई. ये संख्या खतरनाक तरीके से बढ़ सकती है. दरअसल जिस मज़दूर के ज़रिए ये फैला, उसके साथ रहने वाले मज़दूर जशपुर और राजनानादगांव के क्वारेन्टीन सेंटर में हैं.
इस ख़बर के बाद वहां रह रहे झारखंड के मज़दूरों में दहशत का माहौल है. दरअसल 16 अप्रैल की रात को महाराष्ट्र से झारखंड जाने वाले मज़दूरों को राजनांदगांव के पास क्वारेंटाइन सेंटर से जशपुर और सूरजपुर के जजावल शिफ्ट किया गया था. मज़दूरों को करीब 400 की संख्या में रुकवाया गया था. जशपुर और सूरजपुर में क़रीब 300 से ज़्यादा मज़दूर भेज दिए गए थे. जिसमें कहा जा रहा है उन लगभग 300 मज़दूरों में से 106 लोगों को सूरजपुर और बाक़ी लगभग 200 लोगों को जशपुर भेजा गया है. सूत्रों कि माने तो पिछले 4-5 दिनो में जशपुर में कई समाज सेवी संस्थाए आश्रय गृह जाकर इनसे मिला है और फ़ोटो शूट भी किए है अगर ये सच है और यदि जशपुर से कोई सम्भावित मरीज़ निकला तब तो उनके ऊपर भी आफ़त आने की सम्भावना है. हालाँकि अभी सभी सूरजपुर के मज़दूरों की जाँच रैपिड टेस्टिंग किट से हुई है इसके बाद एक और टेस्ट होगा जो कि रायपुर मेकाहारा या AIIMS में होगा उसके बाद ये तय माना जाएगा कि वो कोरोना पाजिटिव है या नहि. जशपुर के मज़दूरों की जाँच जारी है. इनकी भी पहली जाँच रैपिड टेस्टिंग किट से की जा रही है.
बताया जा रहा है कि राजनांदगाँव से भेजने से पहले न तो इन लोगों की जांच हुई न ही किसी की मंजूरी ली गई. चर्चाओं के मुताबिक सम्बंधित जिलों के अधिकारियों ने खुद ही समन्वय बनाकर ये फैसला कर लिया. सबसे बड़ा सवाल ये है कि सूरजपुर में एक पुलिस वाला भी पाजिटिव पाया गया है जिसके डूटी आश्रय गृह में लगी थी.. इसका मतलब साफ़ है कि वहाँ किसी प्रकार की सोशल डस्टेंसिंग का पालन नहि किया जा रहा था..
इस मामले ने प्रदेश के क्वारेंटाइन सेंटर की पोल खोल दी है. क्वारेंटाइन सेंटर में रहने वाले लोग आपसी संक्रमण से बच नही पा रहे हैं. यानी जो स्थान संक्रमण से बचाने के लिए बनाए गए हैं, वो स्थान ही संक्रमण फैला रहे हैं.